पहाड़ों की सुन्दर वादियों में
हमारे हृदय की वेदना छिपा है
वो प्रभात की शुभ अलबेला में
सूर्योदय का उद्गम आनंद छिपा है ।
चिणियों की चहकती आवाज में
कोयल की कुहुकती रसास्वाद छिपा है ।
सीढ़ीदार खेतों की हरियाली में
प्रकृति का व्यव्हार छिपा है ।
कल-कल-छल-छल बहती नदियाँ में
गिरते हुए झरनों का परपात छिपा है ।
देवों की देव भूमि उत्तराखण्ड में
हिमालय के आँचल में स्वर्ग छिपा है ।
ऐसी शुभ पावन देव भूमि में
मेरा जन्मों का सौभाग्य छिपा है ।
हे माँ ! धन-धन्य है मेरा जीवन
जो तूने इस पावन भूमि पर मुझे जन्म दिया ।