Monday, November 26, 2012

दडियोक म्यर किस्स

म्यर दगाडिया  याद उने दाज्यू
कतु भला दिन छिय ऊं
रति परी ब्याव तक
दगडियों दगे डोई रुन्छिया
स्कुल हैं दगड़ जंछिया
कानिम एक दुसर हाथ हौन्छी
मासाब अख़बार पण में मस्त रुछी
मैं-म्यर दगडी ब्यर खाहाँ हिट दिछि
ब्यर खण में मस्त है जांछी
स्कुल ले जाणो भूल गोछी
याद आई स्कुलेकी
दौडान दौडान स्कुल पूज दाज्यू
मसाबुले भौल मार चार सिकौड़
इज बाज्यू याद ऐ पड़ा
डाड़ मारने-मारने घर गाय
जेबन ब्यर इसके हया
आंखां में अंशु तहौड़ छि
कानिम लटकाई झौल छि
इजल पूछो के हो च्यला
रुने-रुने क मासाबुल मारी इजा
बौज्युल पूछो किले मारी
मेल क ब्यर खाहाँ जैरछी तब मारी
बौज्यू कें ले गुस आयो
चार सिकौड़ ऊं ले मरगाया
पिड़े मारी भूक ले हराय
जेबन ब्यर  इसके हाय
यो छियो  दडियोक म्यर किस्स
आज  ले ऊं दिना याद करणोई  दाज्यू

Sunday, November 4, 2012

गोश्वामी जी की याद आते रहेगी


कुमाओं के कुमौनी गीतों में
गोपाल दा की याद आती है

दूर कहीं भी उनका गाना बजता
दिलों में सुकून छा जाता

जब भी किसी के घर में
लड़की का शुभ लग्न होता है

तब भी गोपालदा के ही
 गानों का रसास्वाद मिलता

अब भी याद आता है वो गाना
"जा चेली जा स्वरास"

जब भी इस गाने को सुनता हूँ
आँखों में अश्रु, ह्रदय को छलनी कर देता

गेवाड़ घाटी