लो भाई सभी
चल दिए
गाँधी बनने को
कितना आसान हो
चला है प्यारे
आज सभी गाँधी
बन बैठे
सर पर टोपी
पहने बैठे
सत्य अहिंसा का पाठ
पढ़ने
कितना आसान हो
चला है प्यारे
जिस किसी को
देखें
वह सत्य, अहिंसा की
बात करता है
जो कभी सत्य
को जाना
जो न कभी
अहिंसा के मूल
को पहचाना
फिर भी गाँधी
बन बैठा है
प्यारे
मैं जानना चाहता हूँ
-
क्या समझ गये
गाँधी को
कितना समझे सत्य,
अहिंसक गाँधी को
गाँधी की राजनीति
करना
सत्य, अहिंसा के अभिनय
से लोगों को
ठगना
ये तो गाँधी
नहीं है प्यारे
मन में द्वेष,
छल-कपट भरा
है
जन भावनाओं से खेल
रहा है
हिंसा से मैला
तन-मन फैला
रहा है
फिर भी अपने
को गाँधी कह
रहा है
क्या यही गाँधी
है ? प्यारे
बंधू, गाँधी तो वह
आंधी है
जो सत्य के
मार्ग पर चलता
हो
अहिंसा पर विश्वास
करता हो
जन समूह का
शैलब ले खड़ा
हो
वही आंधी, गाँधी है
प्यारे
जो बना गरीबों
का मसीहा
किया जिसने क़र्ज़ अदा
माँ धरती का
वही "ग" से गगन
"ध" से धरती
से गाँधी बना
जो लय बनाकर
गगन और धरती
के साथ चला
उसी का नाम
गाँधी है प्यारे
आज यदि सच
में गाँधी जी
होते
रक्त के अश्रु
छलक उठते गाँधी
के
सायद फिर गाँधी
ये कभी नहीं
कहते
मैं गाँधी हूँ प्यारे
मैं गाँधी हूँ प्यारे