देश में हर ओर तमासा हो रहा,
बेतुकी शोर मचा हुआ।,
कहीं से एक जोर की आवाज उठी,
और लोगों का हुजूम तमासे को खड़ा हो गया ॥
ठग विद्या का प्रचार खूब हो रहा,
आपस में ही ठगना आरम्भ हुआ।
कहीं से इक ठग की आवाज उठी,
और कई ठगों का संगठन-संगठित हो गया ॥
लुट-मार-बलत्कार सरे आम हो रहा,
गुनहगार धडल्ले से घूम रहे।
क़ानूनी-हथकंडे का डर-भर रहा नही,
और बिन भय के कई गुनहगारों का समूह तयार हो रहे।।
नेता देश को दीमक की भांति चाट रहे,
लूटने को हर दिन नई रणनीति बना रहे।
कैसे प्रतिदिन नया घोटाला हो रहे,
और ऐसे ही गद्दार नेता, हर घोटाले को सफल बना रहे।।
कैसी प्रजा है इस देश में,
यह अब तक समझ में न आया ?
जब तक अपने पर आपबीती न होती,
तब तक इन्शान सोया ही रहता ।।