Wednesday, June 27, 2012

पित्रों की धरोहर

पहाड़ की दशा देखि,
जिया भरी औंछौं।
पूरवोंजुंलें समेटी पहाड़,
पोथ्युंले छोड़ी पहाड़।
खिति पाती छोड़ी ,
घर बार छोड़ी ।
पुर्वोंजुंकें बसाई कुड़ी ,
पोथ्युंले छोड़ी कुड़ी ।
चार हाथक कुड़ी मजी,
रुंछिया दर्जन भरी ।
गोरु-बाछा भैंस-बाकर,
सब मिल झूली रुंछी।
कस यो जमान आयो,
पितरों की टूटी कुड़ी ।
पोथ्युं कें नि देखि कुड़ी,
बुजुर्गों कुड़ी हाल देखि।
बरसों समायी संपत्ति हमरी,
संकटों में छू यो धरोहर ।
दगडियो प्रदेश छोडो ,
अब देश लौट आओ ।
पितरों की धरोहर ,
फिर हरी-भरी बसाओ।
यही बारम्बार विनती छू,
पितरों कें कुड़ी-बाड़ी बसाओ ।
म्यर पहाड़ की दशा देखि ,
जिया भरी औंछौं।
जिया भरी औंछौं।।

Tuesday, June 26, 2012

नैना निहारते उसे


मन में इक उमंग सा,
खिल उठा तरंग सा,
पग पग डोलूं मैं,
उस की राह देखूं मैं ।
न जाने किस राह पर,
किसी अनजाने मोड़ पर,
किस अम्बर के निचे,
मिले खुशियों के लहर ।
किस डगर ढूढुं उसे
मन के नैन निहारते उसे
धुधली सी तस्वीर लिए ।
मन में इक  विस्वास लिए,
फिरता है चारों ओर उसे,
पूर्व तो कभी पश्चिम की ओर,
निकल पढता मंजिल की ओर ।

Sunday, June 24, 2012

इजू तेरी याद


इजू तेरी यादे एईगे,नि लागन त्यर बिन मन ।
घर-घर के याद एईगे,नि लागन त्यर बिन मन।।
इजू तेरी यादे एईगे,................

कसी रुनु देश प्रदेशा,
इजू तेरो दुलार बिन।
तेरो लाड-प्यार इजू,
कसी काटनु त्यर बिन दिन।
गौं-बाखेई कै यादें उंछो,
नि लागन त्यर बिन मन।।
इजू तेरी यादे एईगे.................

म्यर पहाड़ ठंडो-मिठो,
डाई-बोटियों की हवे बहार  ।
दगडियों कें दगड मेरो।
छुटी गिन प्रदेश मा।।
दगडियों कें यादें उंछो,
नि लागन त्यर बिन मन।।
इजू तेरी यादे एईगे.................

तेरी याद लिबेरि इजू ,
शिसक रुनु प्रदेश मा।
तेरी आशीर्वाद मेरो
छतर छायानी मा
मिगें तेरी यादें उंछो,
नि लागन त्यर बिन मन।।
इजू तेरी यादे एईगे.................
{पं . भास्कर जोशी }

Saturday, June 23, 2012

किस से कहूँ क्या कहूँ ?


किस से कहूँ क्या कहूँ ?
खुद को न समझा पाया,
हर एक मोड़ पर,
चौकस सा रहता हूँ ,
न जाने किस मोड़ पर,
अपना साथ छोड़ दे ,
कौन अपना कौन पराया ,
किस गली को अपना कहूँ ।
इस दोगले इन्सानियत से,
कैसे भरोषा करूँ मैं ?
सोचता हूँ क्यूँ भार बनूँ ,
एक रोशनी सी उमड़ पड़ती है ।
जिस के सेवा के लिए जन्म लिया,
उनके सपनों से खिलवाड़ कर ,
क्या में खुश रहा पाउँगा ?
जिनके आशाएं टिकी हुई हैं ।
क्या क्या सपने देखे होंगे ?
इन स्वप्न को तोड़ कर ,
क्या इन्सानियत निभा पाउँगा मैं ?
किस से कहूँ क्या कहूँ ?
खुद को न समझा पाया,

Saturday, June 16, 2012

मनकी पीड़ा



कैंकें बतुं आपु पीड़ा
समझण कोई नि चान,
सब आपुण काम में मस्त हैरिन
कैंकें बतुं आपु पीड़ा।
म्यर पहड्क ठंडी हवा
ठंडो मिठो पाणी
याद उणे पहाड्की
कैंकें बतुं आपु पीड़ा।
गौं  बाखेय में जी
सब दगडी मिल-झूली
अपु हाल सुनुछी
याद उने घरकी
कैकें बतुं आपु पीड़ा ।
आज आपुण घर जानु
मित्र ना बंधू ना
वार ना पार ना
सबुले छोड़ी पहाड़
कैंकें बतुं आपु पीड़ा ।
हे देवा !
म्यर पहाड़ कस रूप हैगो
तू ही सबुकें सुनणी
तू ही य पहाड़ कें सँवार सकछे
और कैंकें बतुं आपु पीड़ा
कैंकें बतुं आपु पीड़ा ।

Monday, June 4, 2012

गेवाड़ घाटी का दर्द कोई क्यूँ नही समझता .........



गांव की याद में


यो पहाड़ म्यर पहाड़ , रंगीलो रंगीलो पहाड़ ,

खेती पाती डाई बोटी , लगूं छो के भाल पहाड़,

पाणी याँको ठंडो मिठो,
 सुरीली हवे बहार ,
 
बारो मास रंगरंगीलो,
 छाजी रोछो म्यर पहाड़,

सीधो साधो भलो मनखी, 
गों बाखेई में बसी छन, 

मेहणों मेंहन तीज त्यौहार,
कौतिकों की रन मन,

म्यर पहाड़ जन्म भूमि,
नौरंगी गेवाड़ भूमि , 


भूमियाँ की छाया यां छू, कत्युरों की कर्म भूमि,

रामगंगा को मिठो पाणी, 
डाव बट्यों की छायाणी,

गध्यारा यो रौल मौल, 
कुखुड सिटौल करौल, 

के भला यूँ स्यरा म्यरा, 
याद मिकैं ओनी .

"यौ त हद्द है गेई "

आजकलै जमान में रौन मुश्किल है गो ,
खाण हराम हैगो, जिण हराम है गो,
आदिम-आदिम खांह बटिगो,
यौ त हद्द है  गेई  ।।


सरकारि स्कुलै मास्टर, चाहा पीण में 
गप्प मारण में रोंणी,
नान-तिन, पब्लिक स्कूलों में पढ़नी,
अखबार में रोज बलात्कार, खून,
एक्सीडेंटल केस छापनी,
कानून आखों में पट्टी बाँधी छू,
यौ लै हद्द है गेई।।


नेता कुर्शी में बैठ बे, झक मारनी,
आपु घर भरणी
बेरोजगारों कें दूध में जहर मिलाई जस बचन कौणी,
घोटाला, घुस, बलात्कार जस केस करबे 
गरीब लोगों कें फसोंनी 
यौ त हद्द है गेई।।


यौ देश  जैहैं जगत गुरु कौनी, 
भ्रष्टाचार फ़ैलण शिष्टाचार घटण,
धर्म संस्कृति, व सभ्यता कें रोज- रोज खून हौण,
यौ लै हद्द है गेई।।

Sunday, June 3, 2012

*** च्यला मकें भूल गेछे***


म्यर च्यला
 किले मकें भूल गेछे तू
च्यला जब तू नान्ने छिये
तेरी इच्छा पूरी कर
जे त्वील कौय से कर
च्यला पली बटी
इजा  बौज्यू सेवा करछिया
अब सेवा हराय
च्यल ब्वारी दुःख दिणी
कुनेयी ' घोड़ी दिल्ली जाएगी"
ब्या बाद में हूणों
दिल्ली लिजाण बात पीली हूनी
इजा बौज्यू कें दुःख दि बेर
आपुण पहाड़ कें छोड़ बेर
तुम परदेश बसी गेछा
च्यला ख़ुशी रया
खूब दैणी द्वार है जो
च्यला तुमारी ख़ुशी में
हमरी ख़ुशी बसी छू
च्याल एक बात जरुर कुँल
जबले हमरी याद आली
हम कें ले भेंट जये
हम कें ले भूल लागौल
म्यर च्यला
 किले मकें भूल गेछे तू
भास्कर जोशी

गेवाड़ घाटी