Friday, May 9, 2014

कैसी होगी वो ?

मन की लहरों में ढूढ़ता उसे 
नई उमंग, नए अरमान लिए,
कल्पना की सागर में डूब हुवा  
सपनों की नई सौगात लिए |
कैसी होगी वो ?
प्यारी सी,
दुलारी सी,
नटखट सी होगी वो,
कुछ ऐसी ही होगी वो !
कैसी होगी वो ?
गुलाब की पंखुड़ियों के तरह,
शर्मीली सी,
कमल की फूलों की तरह,
खिल-खिलाती सी,
दुनिया से निराली होगी वो,
हाँ कुछ ऐसी ही होगी वो !
कैसी होगी वो ?
चंदा सा मुखड़ा होगा,
समन्दर की तरह नीली सी आँखे होगी,
मीठी सी बोली होगी,
चहरे पर प्यारी सी मुश्कान होगी,
हाँ कुछ ऐसी ही होगी हो .!
हाँ हाँ कुछ ऐसी ही होगी हो


Thursday, May 8, 2014

बजती खतरे की घंटी

जाग उठी  है
राजनीतिक लोक तंत्र माफिया |
भ्रष्टचारियों की
हो रही जय जयकार यहाँ|
ढकोशले लोकतंत्र में बैठे नेता 
एक से बढ़कर एक लुटेरा  सरदार यहाँ|
खामोश खाड़ी
जनता के आँखों में| 
सरे आम धुल झोक रहे
बेईमान यहाँ|
हे !
"भारत" के "नव युवा"
जागो निद्रा से|
बज रही देश में
खतरे की घंटी |
चेतना लाओ उदर में
करो बुलंद आवाज | 
बेईमान-भ्रष्टाचारियों को करें बेनकाब 
रचो देश का स्वर्णिम इतिहास |

होली में रंग जमे-भंग्ग नही : हरदौल वाणी


गेवाड़ घाटी