Friday, June 24, 2016

उत्तराखंड की सियासत

उत्तराखंड  में सियासी पारा काफी गर्म होने लगा है दोस्तों.. सभी पार्टियाँ अपनी अपनी जोर की नुमाईस में जुट गयी हैं..लेकिन सोचने वाली बात यहं है कि अब तक की सरकारों ने हमें पलायन और बेरोजगारी की शिवा दिया ही क्या है..बजाय हाथ में पार्टियों के झंडे और और देशी शराब पिलाकर ये लोग अपने आप को खलीफा समझ बैठे हैं.. आम जन जीवन को तो ये लोग कुछ समझते ही नहीं.. अगर समझा होता तो सायद पहाड़ का हाल यूँ न बिगड़ता... 17 साल होने को हैं उत्तराखंड को बने हुए पर मिला क्या ..

समझने वाली बात यह हैं कि  आने वाले चुनावों में आम जनता क्या फैसले लेती हैं .. क्या वह अब तक के हुए कृत्यों से कुछ सीख लेती हैं या फिर वहीँ ढांक के तीन पात .. याने कि फिर यही कांग्रेस बीजेपी की सरकार . या फिर वह जो आजतक कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस की गोद में बैठने वाली UKD...

सच बात तो यह हैं कि उत्तराखंड में रह रहे लोगों की परवाह किसी की पार्टी को नहीं हैं न ही पलायन की चिंता हैं न ही युवाओं को रोजगार को लेकार राजनीतिक पार्टियाँ इस ओर ध्यान देती हैं. उन्हें सिर्फ अपने तिजोरियों को भरने से फुर्सत नहीं मिलती हैं.

साथियों पहाड़ में युवा पीढ़ी की हालत एसी हो चुकी हैं कि वह न घर का रहा न घाट का.. पहाड़ में आज दिन प्रतिदिन युवाओ की संख्या में कमी होती जा रही हैं जो बचे हैं वे भी शहर की ओर ताक रहे हैं .. आने वाले समय में पहाड़ में रह रहे लोग शहरों में होंगे और शहर के लोग पहाड़ में.. वे भी रंगरलियाँ मानाने जायेंगे .. बल्कि जा रहे हैं .. नैनीताल, भीमताल, अल्मोड़ा, रानीखेत जैसे पर्यटक स्थलों में बाहरी दलालों और ठेकेदारों के लॉज बने हुए हैं.. जो दो चार दिन के लिए रंगरलियाँ मानाने के लिए आते हैं ..

यह सिर्फ राज्य सरकारों के देख रेख में हो रहा है यदि कोई स्थानीय व्यक्ति विरोध करता है तो उसे गुंडों द्वारा गायब कर दिया जाता है सिर्फ और सिर्फ यह राज्य सरकार के सहमति से ही होता है.. पहले की बीजेपी सरकार और अभी वर्तमान में कांग्रेस की सरकारों का ही यह नतीजा हैं .

फैसला आम जनता के हाथों में हैं कि वह अपनी कीमती वोट किस ओर डालती हैं..तथा दूसरी समस्य यह भी हैं कि उत्तराखंड में इन दो पार्टियों के अलावा कोई और चारा भी नहीं हैं वहीँ UKD स्थानीय पार्टी अपनी शाख तक नहीं बचा पाई है अब तक.. यह हम सभी को सोचने समझने की जरूरत हैं कि हमें करना क्या हैं.. 2017 के विधानसभा चुनाओं में हमें अपनी कौन सी भूमिका निभानी है इसपर ध्यान देने कि आवश्कता हैं.. गाँव गाँव के लोग एकत्रित होकर अपने गांव को कैसे उन्नति की ओर लेकर जाना हैं बगैर नेताओं के इन सवालों पर जोर देने की बात होनी चाहिए और आमल करने की भी..............
भास्कर जोशी.
चिन्तक

गेवाड़ घाटी