घन्तर-7
भीकू दा प्रेस वार्ता -6
क्या होगा पहाड़ का। विनाश के कगार पर खड़ा है। भीकू दा आप कुछ करते क्यों नहीं ?
भुला मुझे अगर विधानसभा में घुसने की छूट होती तो इनके कपड़े "उतार उतार कर एक एक को पकड़ पकड़कर सीसोण झपका झपका के भुत्त उलाय देता" सारे नेता बिरादरी याद रखते।
भिकूदा वो तो तुम इनके घर जाकर भी कर सकते हो?
ना भुला ना ये राजनीति के ठेकेदार उस काम को व्यक्तिगत लड़ाई समझकर मुझे नेक्सलाइट या माओवादी घोषित कर देंगे। और इनकाउंटर करवाकर मेरा ढीश्यूम कर डालेंगे । मेरा तो ये लोग कर देंगे ना .........इनकी जड़ बहुत गहरी है भुला, इनके जड़ पर पहुँचकर आरा चलाना होगा।
बल भिकूदा कैसा आरा और कैसी जड़ ?
भुला ये नेता लोग हैं इनकी जड़ें बहुत मज़बूत और विनाशकरी है जिस ओर फैलती है वहाँ सूखा या अकाल पड जाता है इसलिए इन नेताओं के जड़ व टहनियों पर आरा लगाकर बार बार झटनी होनी चाहिए। तभी अच्छी कोपलें आएँगी। हो सकता है किसी पेड़ में मीठे रसीले फल भी लग आये।
भिकूदा यह कैसे सम्भव है नेता कभी अपनी के सगे नहीं हुवे फल तो दूर की बात है।
भुला इसकी ज़िम्मेदारी हम लोगों के कंधे पर है। हम कैसे नेता को चुनते हैं यह हमारा अधिकार है पर हम लोग कच्ची पक्की शराब में बिक जाते हैं और अपना बेसकिमती वोट ऐरे ग़ैरे नेतों को दे बैठते हैं। आज की स्थिति ऐसी हो गयी है कि पार्टी वर्सेज़ पार्टी । यदि कोई निर्दलीय अच्छा साफ़ सुधर व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो उसे कोई नहीं देखता। हमें यह नज़रिया बदलना होगा।
जारी है भीकू दा के साथ प्रेस वार्ता अगले सवाल जवाब के साथ
भास्कर जोशी पागल
9013843459
भीकू दा प्रेस वार्ता -6
क्या होगा पहाड़ का। विनाश के कगार पर खड़ा है। भीकू दा आप कुछ करते क्यों नहीं ?
भुला मुझे अगर विधानसभा में घुसने की छूट होती तो इनके कपड़े "उतार उतार कर एक एक को पकड़ पकड़कर सीसोण झपका झपका के भुत्त उलाय देता" सारे नेता बिरादरी याद रखते।
भिकूदा वो तो तुम इनके घर जाकर भी कर सकते हो?
ना भुला ना ये राजनीति के ठेकेदार उस काम को व्यक्तिगत लड़ाई समझकर मुझे नेक्सलाइट या माओवादी घोषित कर देंगे। और इनकाउंटर करवाकर मेरा ढीश्यूम कर डालेंगे । मेरा तो ये लोग कर देंगे ना .........इनकी जड़ बहुत गहरी है भुला, इनके जड़ पर पहुँचकर आरा चलाना होगा।
बल भिकूदा कैसा आरा और कैसी जड़ ?
भुला ये नेता लोग हैं इनकी जड़ें बहुत मज़बूत और विनाशकरी है जिस ओर फैलती है वहाँ सूखा या अकाल पड जाता है इसलिए इन नेताओं के जड़ व टहनियों पर आरा लगाकर बार बार झटनी होनी चाहिए। तभी अच्छी कोपलें आएँगी। हो सकता है किसी पेड़ में मीठे रसीले फल भी लग आये।
भिकूदा यह कैसे सम्भव है नेता कभी अपनी के सगे नहीं हुवे फल तो दूर की बात है।
भुला इसकी ज़िम्मेदारी हम लोगों के कंधे पर है। हम कैसे नेता को चुनते हैं यह हमारा अधिकार है पर हम लोग कच्ची पक्की शराब में बिक जाते हैं और अपना बेसकिमती वोट ऐरे ग़ैरे नेतों को दे बैठते हैं। आज की स्थिति ऐसी हो गयी है कि पार्टी वर्सेज़ पार्टी । यदि कोई निर्दलीय अच्छा साफ़ सुधर व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो उसे कोई नहीं देखता। हमें यह नज़रिया बदलना होगा।
जारी है भीकू दा के साथ प्रेस वार्ता अगले सवाल जवाब के साथ
भास्कर जोशी पागल
9013843459