Wednesday, July 5, 2017

कविता : जगरियक आशीर्वाद



भम-पा पक़म, भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन
शहरी स्वकारो तसिके पहाड़ ऊने राया
तुम तसिके भूत छौ पूजने राया
भम-पा पक़म,भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन

बाट घवेंटु ख़ूब छौ छितर लगै लिजाया
साल भरक छौ छितर महेण में पूजने राया
मशाण भूत प्रेत लगौने राया
तुम तसिके पहाड़ में पूजने रै जाया
भम पा पक़म, भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन

पहाड़ एबेर अड़ोसी पड़ोसी कुँ गाई ढाई दिजाया
भकार भरि बेर हंक लगै लिजाया
हंक धुण में ख़ूब बकार काटि जाया
तुम तसिके पहाड़ में पूजने रै जाया
भम-पा पक़म, भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन

तुमर छौ छितर में मुर्ग़ी फ़ारम फ़ई जो
तुमर हंक धुण में बकारक मालिक मालामाल है जो
शराबी कबाबी पी खै बेर बारोमास घूरी पड़िए रैजो
तुम तसिके पहाड़ में बार बार पूजने रैजाया
भम-पा पक़म, भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन

मगें रोज तसिकै बलौने रैया
तसिकै हुडुकी थाई बजुनें रूँ
खै पी बेर म्यर रोज़गार दुब जस फई जो
तुम तसिकै पहाड़ पूजने, भेटने राया।
राज़ी राया ख़ुशी राया स्वकारा।
भम-पा पक़म, भम-पा पक़म
टन टना टन, टन टना टन
भास्कर जोशी

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