Tuesday, February 25, 2014

पहाड़ हालत ख़राब हुणे,


पहाड़ हालत ख़राब हुणे,
मकान दिनों दिन बांज हूँणी,
बुड-बाड़ी घर में आश लगे रूनी,
कब घर आल म्यर नान...
यई आश बुड-बाड़ी लगे रुनी ।। ……….(1)

बुड-बाड़ी धेयी द्वारुं में टोप मार रूनी,
बाट-घ्वेंटा कें चाने-चिताने रूनी,
तली-मली जाणी पथिकों पूछने रूनी,
तली बटी ऐ-गोनल म्यर नान ..
येई आश बुड-बाड़ी लगे रुनी ।।……………(2)

बुड-बाड़ी आश-पड़ोस नानतिना कें,
अपुण नानतिना किस्स सुणोंनी,
नानछिना कशी लोट-पोट खेल्छी,
वार बटिक पार, धुरका-धुरुक नांच लागौन्छी,
यई सब याद कर बे बुड-बड़ी जी रूनी ।।………..(3)




गेवाड़ घाटी