Monday, August 3, 2015

तेरा दुखड़ा कौन सुने

पिंजरे में पड़ा बंद रे
तेरा दुखड़ा कौन सुने
हाथ तुम्हारे जंजीरों से जकडे
मुह खुले, पर लगे ताले रे|

सरकारें जिन्हें घुट्टी पिलाये
खुश हुए विलोचन मतवाले रे  
दुशासन नया तमासा दिखाए
बंदरिया नाच नचाये रे|  

दावे बड़े नए नवेले राजाओं के
सपने दिखाते डिजटल युग के
वाक् पटुता में बड़े लुभाने
विपदा में दिखाए सपने सुहाने रे |

गुम होते बच्चे भविष्य भारत के
कोई खोज खबर नही उनकी रे
धूमकेतु की भैंस, मुर्गियां खोये
एलियन पल भर ढूढ़ निकाले रे |  

धृष्टराज माल का भाव न जाने
किसानों से ख़रीदे एक टके में रे
पैकेट में उद्योग जगत हवा भरकर बेचे  
माल कमाये करोड़ों रे|

अन्नदाता के गले फंदा
रंगरलियाँ मनाये कौरव रे
भूखे पेट गरीबी दर-दर भटके
पंख लग, नेता उड़ जाए रे |


गेवाड़ घाटी