Sunday, August 28, 2016

आओ बिमाण्डी (बेमानी ) खाएं

आओ थोड़ा बिमाण्डी (बेईमानी) खायें
अब भला बिमाण्डी कोई खाने वाली चीज है क्या। हम ठहरे आम नागरिक हमें कहाँ बिमाण्डी खानी आती है । बस कभी कभार अपनों से छोटी मोटी झूठ बोल लेते हैं अपनीख़ुशी के लिए। झूठ अगर पकडा गया तो फिर हमारी कुटाई शुरू। झूठ भी हमें सही से हजम नहीं होता । अब भला हम बिमाण्डी खाएं भी तो किस से खाएं?
नेताओं का क्या है उन्होंने तो झूठ से स्नातक की डिग्री ली है और बिमाण्डी से पी एच डी। और हम हुए मैट्रिक फेल। ऐसे में भला कैसे बिमाण्डी खाएं। यह तो सोभा भी उन्हीं को देता है जो बिमाण्डी पर पी एच डी कर चुके हों। हमें तो यह भी नहीं मालूम की कितने बिसि के सैकड़ होते हैं गिनती भी ठीक से कर नहीं पाते । अब यही देख लीजिये -40 तक की गिनती तो ठीक ठाक गिन लेते हैं उसके बाद इकाली, बयाली, तिराली, चौराली, पिचाली, छियाली, सताली, अठाली, नावाली, नब्बे, और 60 में हमारी 100 तक गिनती पूरी। ऐसे में भला बिमाण्डी कैसे खाएंगे। 
बिमाण्डी खाने वाले बड़े साहसी होते हैं और बिमाण्डी कर के भूल भी जाते है कि अभी लास्ट टाइम उन्होंने कौन सी बिमाण्डी खाई थी। इसलिए वे बिमाण्डी में भारी भरकम बिमाण्डी खाने में भी संकोच नहीं करते। वे कम कम भी नही खाते बल्कि एक ही बार में सात पीढ़ियों के लिए हो जाए इतना इक्कठा खा लेते हैं। 
वैसे सुना है आजकल उत्तराखंड में बिमाण्डी खाने की होड़ लगी है बात सच है क्या ?- 

रातों रात राम मंदिर बन गया

समूचे भारत में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी. राम मंदिर बनने की ख़ुशी में लोग एक दुसरे को बधाई का सन्देश दे रहे हैं. मिठाई बांटी जा रही हैं. कौन सा भी न्यूज़ चैनल लगाव लें सभी पर राम मंदिर बनने का विषय छाया हुवा है.. व्ह्ट्सअप फेसबुक ट्विटर सब जगह राम मंदिर पर बधाई के सन्देश पर सन्देश भेजे जा रहे हैं. एक रात में यह सब हो गया किसी को कानो कान खबर नहीं हुई. अयोध्या वाशियों को भी इस बात की कोई जानकारी नहीं थी. सुबह जब जाग कर उठे तो देखा भव्य राम मंदिर चमचमा रहा है. वहां के लोग बढ़ चढ़कर राममंदिर की भव्य कला मूर्ति व भगवान राम को स्थापित देख कर खुसी से नांच रहे हैं. मिडिया में खबर आते ही देश भर से लोग राम मंदिर देखने के लिए उमड़ रहे हैं.. 
राममंदिर में भक्तों की भीड़ को देखकर पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गयी है उधर भाजपा के खेमे में ख़ुशी के मारे लड्डू बाँट जा रहे हैं. वे खुश हैं कि उन्होंने जो कहा था वह कर दिखाया. परन्तु किया किसने यह उन्हें भी मालूम नहीं है. पर अभी नाचने और झुमने का समय है. राम मंदिर बनने की खुशी में आर एस एस के लोगों में भी उत्सह की लहर उठ रही है वे भाजपा की पीठ थपथपाते हुए अपनी पीठ भी थपथपा रही है. उधर अन्य राजनीतिक दल भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं और भगवा आतंक का राप अलाप रहे हैं,
मिडिया के हर चैनल पर राम मंदिर छ्या हुवा है और आपस में यही डिवेट चल रही है कि कल तक कानों कान किसी को खबर नहीं थी कि रातों रात राम मंदिर बन सकता है और एक ही रात में राम मंदिर बनकर तैयार हो गया.
यह वास्तव में अकल्पनीय है. क्या रात को विश्वकर्मा देव आये और रातों रात मंदिर बना कर चले गये ? यह संभव नहीं. आज के युग में ऐसा होना असम्भव है. सोचने वाली बात यही है कि रातों रात मंदिर कैसे बनगया. लेकिन अभी देश राम मंदिर बनने की ख़ुशी में मस्त है खुशियाँ बांटते हुए लोगों के मुख से यही सुना जा रहा था बधाई हो बधाई राम राज्य लौट आया है ..मैंने भी अपने सभी साथियों को व्ह्ट्सअप और फेसबुक व ट्विटर पर बधाई दे रहा था. कि इतने में किसी ने बहार का दरवाजा खटखटाया जोशी जी ओ जोशी जी आज ऑफिस नही जाना है क्या ? सुबह के आठ बज गये हैं अभी तक उठे नही, झठ से नीद खुली चौंक सा गया ...अपने से कहा- “यह क्या मैं सपना देख रहा था” 

Friday, August 19, 2016

शिक्षा पर चर्चा

भारत की शिक्षा  व्यवस्था हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा हैं .
शिक्षा को लेकर एक पुराना किस्सा याद  आता है ..दिल्ली में आये हुए एकआद साल ही हुवे थे  मित्रों से मिलाना  उत्तराखंड व  अन्य बैठकों में भाग लेने । बड़ा ही  आतुर रहता..इसी बीच मंच पर बोलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ | तब मंच से मैंने राजनीति और शिक्षा के लचर व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये थे | उस बैठक में एक महानुभाव और बैठे हुए थे जिन्होंने शिक्षा को लेकर बड़ी बैठक ओर्गनाइज की थी उन्होंने उस बैठक में आने का न्योता दिया .. बैठकों में भाग लेने के लिए आतुर रहता ही था सो वहां चला गया| वहां सब बड़े बड़े लोग नए चहेरे सूट बूट धारी लोग मैं बड़ा अचंभित था क्योंकि कभी एसी बैठक में गया नही न ही कोई अपने बिरादरी के लोग थे सब अलग अलग राज्य से थे कोई डॉ तो कोई प्रोफ़ेसर तो कोई .........न जाने  क्या क्या। अलग अलग संस्था समूह के लोग बैठक में आये हुए थे .. और अपनी उमर का में एक ही था मेरे आसपास के उमर का कोई नहीं । कुरता पजामे में मैं चुप चाप जाकर पीछे एक कोने पर कुर्सी पकड़ कर बैठ गया .. कुछ देर बाद हौल की सारी कुर्सी भरने लगी । मेरे बगल  वाली कुर्सी पर के सूट बूट नामी टाई धारी व्यक्ति आकार बैठ गये। कुछ देर बाद परिचय हुआ | कहाँ से हो , क्या करते हो? सवाल जवाब का संवाद चलने लगा। शिक्षा के बारे में पूछा कहाँ से की कितनी की | मैंने कहा साहब- मैंने प्राइमरी पाठशाला स्कुल से शुरू किया जिसे आप मुंशीपाल्टी स्कुल कहते हैं और ग्रेजुएशन कर आगे की पढाई जारी है| कुछ देर के बाद एक अजीब सा सवाल कर बैठे- मुंशीपाल्टी स्कूलों के बच्चे अपना विकाश नही कर पाते, जबकि मोडर्न स्कुल के बच्चे काफी आगे निकल जाते हैं | मैंने कहा साहब हम मुंशीपाल्टी के लोग अंगूठे से पैन तक पहुँच गये और मोडर्न स्कुल के आप  लोग पैन से शुरू हुए थे वहीँ पैन  पर अटके  हुए हो .. आप तो आगे बढे ही नही .हम लोग जमीनी लोग हैं उठ कर कभी गिर भी गये तो सभलने में देर नही लगती लेकिन जब आप उठे हुए लोग गिरते हैं तो सभाल नही पाते  हैं| . तो बताओ विकाश किसका हुआ ... ? हम लोगों ने वह असली जी है और आप रहे वह बनावटी दुनियां में । आज भी मंच द्वारा बनवटी ही बात हो रही है। जो सायद ही कभी इसका लाभ ले सकें। पर हाँ हमारे वे मुंशीपाल्टी से निकले हुए लोग ही बड़े औधों पर काम कर रहे बड़ी इमानदारी से ।
खैर सर छोड़िये, आप उस बात को सायद ही समझ पाओगे क्योंकि वह व्यक्ति ही जानता है जो वहां से उठकर निकला हो।
यूँ ही मन किया आप लोगों के साथ शेअर कर दिया ..भास्कर जोशी

आजादी का जश्न दूसरी तरफ मौत का जाल

एक तरफ आजादी का जश्न था  , दूसरी तरफ मौत का जाल बिछाया जा रहा था।
जी हां सच है। कल आप सभी आजदी के जश्न से झूम रहे थे मौज मस्ती कर रहे थे। पतंक बाजी हो रही थी। आपके पतंक बाजी से किसी की जान जा सकती है । जी हां जब आप पतंक बाजी कर रहे थे तब आपने यह नहीं सोचा होगा कि आपके पतंक उड़ने से किसी की जान भी सकती है। आपके पतंक कटने के साथ जो मांजा (धागा) आप लगाते हैं वह इतना जालिम होता है क़ि किसी का भी गला काट सकता है। जबकि सरकार द्वारा उस धागे पर बैन लगा दिया गया था । लेकिन आज भी वह बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है। वह चाइनीज माजा धागा इतना सख्त है कि टूटता नहीं।
आज चारों तरफ आपके कटे पतँकों के साथ साथ वह धागा जगह जगह बिखरा हुवा है रोड, गलियों मे बड़ी सावधानी से चलना पढ़ रहा है। आपके पतँकों द्वारा बिछे उस जाल में पता नहीं कब पांव में फंस जाए और मुहं के बल गिरकर, अपने हाथ पांव तुड़वा बैठें।
यदि कहीं रोड में इस पार से होते हुए उस पार तक आपकी कटी हुई पतंक मांजा सही चली जाए , तभी को बाइक सवार गुजरे तो यह पक्का है क़ि उस बाइक सवार व्यक्ति क्षतिग्रस्त होगा।
कल से मैं कई बार गिरते गिरते बचा हूँ । एक तो वह धागा साफ साफ दिखाई भी नहीं देता साथ ही आज सुबह गली के केबल तार से लटका हुआ मांजा दयनीय स्थिति में लटका हुआ था। यह सोचकर उसे हटाने का प्रयत्न किया कि किसी के साथ अनहोनी न घटे। जैसे ही उसे हाथ में लिया उसे तोड़ने की कोशिश की तो उसने मेरी हथेली पर चीरा लगा डाला।
इस बात से आप अंदेशा लगा सकते है कि यह मांजा कितना खतरनाक है। आप तो अपने मजे के लिए स्तेमाल कर रहे हो पर यह आपका मजा किसी पर भारी पड़ सकता है। किसी की जान जा सकती है। अपने बच्चों को भी इस बात से परिचय कराएं। -भास्कर

गेवाड़ घाटी