Sunday, February 28, 2016

बस भी करो

अजीब तमासा है
हालात बेकाबू हैं।
सभी को कुछ न कुछ चाहिए।
किसी को भगुवा चाहिए
किसी को आरक्षण चाहिए
किसी को आजादी चाहिए
किसी को पकिस्तान चाहिए
किसी को अफजल चाहिए
तो किसी को कुर्सी चाहिए।
अरे कमबख़्तो
एक बार उस जनता से भी पूछो लो
जो तुम्हारे डर से
घर के बाहर निकलने से डर रही है।
वह माशुम जनता तुम्हारे कृत्यों से सहम गयी है।
उसे डर है
तुम्हारे रैली से
तुम्हारे धरने से
 तुम्हारे आंदोलन से
 तुम्हारे मांगों से
तुम्हारे नारों से
तुम्हारे भाषणों से
कब कौन सी आफत उसके सर पर पड़ जाए।-भास्कर जोशी पागल

ढुंगम् धरि है

पाखक् की धुरि हरैगे
गौं-गाड़क शान हरैगे
मेंसू गणी चुडि फुड्याट मचि रै
पहाड़गणी ढुंगम् धरि है।

च्याल-ब्वारिय शहर नहा गयीं
खेति-पतियों कें बंजर धर गयीं
फोनम् बटिया सेटलमेंट कर जाणेईं
सास-सौरुंकणी ढुंगम् धर जाणेईं।

शहरिया छौ-भूत पुजे, पहाड़ उणेईं
शराब, मुर्गा, बाकर भाषोडि जाणेईं
द्यप्तां दगड कॉन्फ्रेंस में बात है जाणेईं
सभ्यता, संस्कृति गणी ढुंगम् धर जाणेईं।

पहाड़ियो! पहाड़ मेजी गाव्-गाव् ऐरेछो
हड़िया कुकुरगणी मारि हैछो
चोर-मुशोर स्वकार है गयीं
रइ-सइ मैंसु मुनव ढुंगम् धर जाणेईं।

आजकलक  ब्वारिया प्वल्ट नी लगुन कुंरेई
डबल भेजो बौली लगौंनु कौरेई
ब्या करबटि नखार स्वर्ग चढ़ गयीं
ईज-बौज्यु दुडाट पाडि बेर ढुंगम् धरि गेईं।

बखता य कस ज़मान ऐगो
सर परिवार छोड़ नान एकलु हैगो
सैणिक पछिल चक्कर काटणे में रैगो
ईज-बौज्यु कैं एक्लै छोड़ मरणे लिजी ढुंगम् छोड़ी ऐगो।-पभजोपागल

घन्तर-3 : प्रेस वार्ता

घन्तर-3
भिकूदा प्रेस वार्ता-२

भीकू दा आपके यहाँ अभी तक रेलवे लाइन नहीं आइ इस संदर्भ में कुछ कहना चाहेंगे?

क्या कहूँ भुला मेरे बूबु कहते थे नाती तुम्हारे जवाँ होते ही तुम्हें रेल मिल जाएगी। जब तुम शहर में नौकरी पाणि के लिए जाओगे तो घर अपने गाँव आने जाने के लिए रेल का साधन होगा। लेकिन रेल तो छोड़ भुला यहाँ ठीक से ठुल मूनेयी टरक़ भी सही से चल नहीं पाता।
जब वह उकाव में जाता है तो उसकी साँस भी फूलने लगती है वह भी अपने ड्राईवर से कहता है बिसौण लगदे रे लगदे अब उकाव नी चढ़ियन। तब यस में भुला हमारे यहाँ कैसे रेल आयेंगी।

बल भिकूदा हिमाचल और जम्मू के पहाड़ों में तो रेल पहुँच गयी।

तो भुला वहाँ रोड ठीक होगी, इतने उकाव नहीं होंगे, हमारे यहाँ तो रोड में ग़ड्डे ही इतने हैं कि आपको बाबा रामदेव की कसरत या योगा करने की ज़रूरत ही नहीं, गाड़ी में चलते भक़त झकोवा झकोव झकोवा झकोव करके हांट भांट भी पींचर हो जाते हैं एसे में रेल कैसे चलेगी। सुना है रेल तो सीधे सीधे चलती है और उउइउउं लम्बी होती है।

अरे नहीं भीकू दा रेल के लिए तो अलग से ट्रेक बनाया जाता है वह गाड़ी वाले रोड पर नहीं चलती उसके लिए लोहे से अलग से ट्रेक बनाया जाता है

अच्छा अच्छा तभी मैं कहूँ अब तक रेल क्यूँ नहीं आयी। मैं तो सोच रहा था एक दिन इसी रोड पर चलते चलते आएगी। तभी तभी, ओहो! ये तो में आजतक नहीं समझ पाया। अच्छा हुवा कि आपने मुझे बता दिया। नहीं तो में एसे ही, इसी रोड पर उसका इंतज़ार ही करता।

बल भिकूदा लोग तो कह रहे हैं अब आपके यहाँ भी रेल जुड़ने वाली है फिर तो आप रोज रेल से ही अप डाउन करेंगे

भुला हमर याँ एक क़िस्सा है - बिना मरिए स्वर्ग नी देखियन कूनि। तैसे ही हाल हमारे भी हैं कब तुम्हारे हिसाब से रेल ट्रेक बिछेगा कब उसका इंजन आएगा और उसके पीछे पीछे उसके बच्चे याने कि उसके डब्बे। जो सपने हमारे बुबु ने  रेल के लिए देखते थे अब वही सपना हम अपने भावी पीढ़ी के लिए देखेंगे।

बल भिकूदा रेल मंत्री तो कह रहें है हम बहुत तेज़ी से विकास करेंगे। विकास करने के लिए तीन साल ही बहुत होते हैं

क्या भुला तू भी पाणि खाव में त्यूड मारने जैसी बात करता है जो इतने साल से नहीं हुवा वह अब तीन साल में कैसे पूरा हो जाएगा? फिर भी तेरे मुँह में तील गुड़। जो तू कह रहा है प्रभु जी कर दें तो हमारे भी भाग खुल जायेंगे।जीते जी रेल देखकर ही जाऊँगा

भिकूदा के साथ प्रेस वार्ता जारी है बने रहिए
पभजोपागल
भास्कर जोशी पागल
9013843459

Monday, February 22, 2016

भिकुदा के किस्से

भिकुदा स्पेशल -१

भीकू दा भी रंगील आदिम हुए हो
बेई कह रहे थे। व्या बरियात तो आजकल फुस्स जस हो गए। अब वो रौनक भी नही रही। पैली बटी तो हमारे समय में बड़ी रौनक होती थी घर से ही हम फरांग मंत्री होकर के  निकलते थे बाँकी जहाँ जहाँ बाजार में गाडी रुकती थी वहां से पहले हम ठ्यक देखते थे। अपना कोटा लेकर फिर बस में बैठकर बीच बीच में हड़काते रहते थे । अब जहाँ बरियात पहुँचने वाली होती थी उस से पहले चहा पाणी का इंतजाम होता था। और हम द्वी चार गज्जैक नमकीन जेब में लेकर बूजे या कौखाड़ी का आड़ लेकर पौवा हड़का देते थे। ब्योलि के यहाँ पहुँचते पहुँचते हम आदुक् बाट में ही लम्पसार हो जाते हैं रे। अगर बाट सिद्ध सिद्ध हुवा तो पहुंचे नही तो कहीं बुज या किसी के कौखाड़ी वखाड़ि में थेची थाचि कर घुरि पड़ी रहते थे। खाने की होश किसको होती थी । बाद में गांव के ही छिलुक भड़काकर ढूंढते थे हम लोगों को । मिलने पर गांव के लोग हमारा हाथ खुट पकड़ कर बरेत्ती गोठ के कुण घाल जाते थे। क्या दिन थे रे वो। अब तो ब्या में मजा ही नही आता। जब तक गांव में दूसरी किसी की शादी नही होती थी उसी बात की चर्चा होती थी। अब वो दिन रहे ही नही।  शहर में तो और बुरा हाल है यहाँ तो बारात पहुंची भी नहीं की घरेति खा पीकर घर निकल जाते हैं रे। अब वो इंजॉय भी नही रहा लोगों में जो पहले के लोगों में क्रेज होता था।
नोट- इस पोस्ट से इस पागल का कोई लेना देना नही है यह भीकू दा  की निजिगत प्रतिक्रिया है। :p पभजोपागल


भीकू दा स्पेशल -२

पभजो😃 पौरक बखायिक मदनी आज बाट में लंपसार हैरछी। मैल कौ रे मदनियां य कस योग करण छै तू। तल-मलि हूँ जाणी वाल सब तिगणी चाण् में छिं। कस भोग पूरी त्यर य।
तब मदनी कुणो छ
आई एम् फरांग मंत्री डू नॉट डिस्टरभ मी।
मैल कौ रे साबास भौल करण छ तस।
पै कुणो छी।
आई एम् पार्ट ऑफ़ इंडीयन डेमोक्रेसी. यू गो नाउ।
तालें मलि बटी एक सैणि धात लगुने, गाई ढाई दिने, हाथ में दातुल लिबेर दौड़ने उणेछि। आज य रनकार कें दातुलल हानि द्युल। कपन हैरो लड़बड़ान त शरेबि।
मदनिये कान कान ठाढ़, सैणिक अवाज के गे कान में । मदनी चडम्म हौ छाव, यस दौड़ लगै विल कि पछिना नि चाय्। सिद्ध घर।
😂😂😂😂😂😂😂😂
भास्कर जोशी पागल


भीकू दा स्पेशल-3
आजकल सब अपनी अपनी तैयारियों में व्यस्त हैं और हम अपने गोठ गोठ्यारों मस्त  हैं। उत्तराखंड के दल पार्टी आगामी चुनावों के लिए कमर कसे जा रहा है। और हम उनके घोषणापत्रों की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
हर पांच साल के घोषणा पत्र में गैरसैण मुद्दे को प्रार्थमिक्ता दी जाती रही है और आगे भी ऐसे ही दी जायेगी। वर्तमान में कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड की जनता के साथ जो बेहद मजाक किया है वह सायद ही अभी कोई भूल पायेगा। चाहे वह आपदा घोटाला हो या भूमि अधिग्रहण मामला हो। लेकिन बीजेपी को भी हम साफ सुथरा का सटिफिकेट नहीं दे सकते है। कुर्सी मिल जाने के बाद बीजेपी ने भी कुम्भ घोटाले और विद्युत घोटाले से अपना तिजोरी राजस्व खूब बढ़ाया है। रही निम्न उत्तराखंड की स्थाई छोटी मोटी पार्टियां जो अभी तक कुछ खास नहीं कर पायी है। ऐसे में बड़ी पार्टियों के गोद में बैठने के सिवा दूसरा कोई चारा नही बचता।
राजधानी गैरसैण बनेगी  यह  तो आप भूल ही जाइए इसलिए भी कि हर पांच साल में गैरसैण जैसा बड़ा मुद्दा उनके घोषणा पत्र से गायब हो जायेगा। इसलिए राजनीतिक पार्टियां ये कभी नहीं चाहेंगी कि गैरसैण राजधानी का मुद्दा हल हो।
हमारे प्रतिनिधि भी पांच साल में एक बार ही अपना हुलिया दिखाते हैं वह भी चुनाव प्रचार के समय। बाद में ये अलोप हो जाते हैं जंगल में मंगल मनाते हैं या फिर पार्टी प्रोग्रामों में ठुमके लगाते हुए सुर्ख़ियों में आते हैं। खैर जो भी हो 2017 भी आने वाला है। नेता बिरादरी का बिजनेश सातवे आसमान में होगा। इसलिए आप जो भी कागज पत्तर या पेंशन लगवाना चाहते हैं तो यह सही मौका है। अभी हाथों हाथ आपका काम नेता व उनके चेले चपाटे आपका काम यूँ चुटकी बजाते कर लाएंगे। इसलिए अभी मौका है फिर यह मौका आपको नहीं मिलेगा। गोठ गोठ्यारों में अगर मस्ती कर रहे हों तो कुछ समय के लिए बंद कर दीजिये अपने कागज पत्तर पेंशन तैयार कर लें।  क्योंकि जीतने के बाद नेताजी परलोक में विचरण करने चले जाते हैं। पांच साल में छः महीने ही धरती पर आगमन होता है।  इसलिए आज ही आसपाइस कहकर  आवेदन डाल दें- भास्कर जोशी"पागल"


घन्तर

घन्तर-1

फूट डालो और राज करो

फिर से कुछ यही सुनाई देने लगा है। पहले अंग्रेजों ने जातिगत फूट डालकर दो सौ साल राज किया। बड़ी मसक्कत के बाद कई सालों की जंग से स्वतंत्र देश मिला। 1947 के उस आजाद भारत के कई सुनहरे सपने देखे थे। मिलकर रहने की कसमें खाई थी हिन्दू मुस्लिम, दलित को साथ लेकर चलने की बातें होती थी। लेकिन यह सब मुफ़ट ही रही आजादी के 60 साल बीत जाने के बाद भी यहाँ कुछ नही बदला अगर बदला भी है तो वह इंसान जो कि अब वह पढ़ा लिखा  हवसी, जाहिल देशद्रोही इंसान बन चूका है।  इस नेक कामके लिए हमारी सरकारों ने बहुत मदद की है।
हर धर्म जाती को आरक्षण चाहिए। दलित हो मुस्लिम हो जाट हो पटेल हो या अन्य समूह हर किसी को आरक्षण चाहिए । बात यह समझ में नही आती कि एक ओर बराबरी का हक़ मांगते हैं वहीँ दूसरी ओर आरक्षण मांग कर अपने छोटा होनी की मानसिकता रखते हैं। चूँकि इन सभी जातिगत समस्याओं से राजनीति को बड़ा फायदा है। हाल यह है राजनीति की कुर्सी अंग्रेजी दीमक से भी भयंकर है जोकि एक दूसरे को तोड़ने की कोशिश की जा रही।
 JNU मामले में भी कुछ यही हालात देखने को मिले है। देशद्रोही पकिस्तान का नारा लगाते हैं और भारत की लुल राजनीतिक नेता देश द्रोहियों के समर्थन में उतर आते हैं चाहे वह राहुल गांधी हो केजरीवाल हो या सीपीएम के लोग हों उन्हें यह भी सायद पता नहीH होगा कि हमें किसका समर्थन करना है किसका नहीं लेकिन सरकार का विरोध करना इनका इनका परम कर्तव्य है चाहे वह देश विरुद्ध क्यों नहो। वह तो भला हो कोर्ट का जो कि अपना काम निस्वार्थ से देश हित में काम करते हुए राहुल गांधी पर देश द्रोह का मुक़दमा ठोक डाला। इस मुक़दमे को देखते हुए बाकि समर्थन कर रहे विरोधी पार्टियों ने अब अपने बयान बदल लिए। खुसी इस बात की है कि कोर्ट के दखल के बाद नेताओं के पेच कसने की तैयारी हो रही है।
जारी रहेगा अगले।प्रकरण में कुछ और



घन्तर-2

आरक्षण मुद्दे पर भिकूदा से प्रेस वार्ता

ल्यो अब भीकू दा को भी आरक्षण चाहिए। बेइ कह रहे थे। अब मुझे भी अपना हक़ चाहिए मैं भी अपने हिस्से का आरक्षण लेकर रहूँगा।

बल भिकूदा आपको किस लिए आरक्षण चाहिए?

लै सबुगण मिल गया मैं भिकूवा एसे ही लॉसणौक नुण पिशने में ही रह गया रे।अरे मैं भी तो इसी देश का नागरिक ठहरा ना, कोई पाकिस्तानी या अफ़ग़ानी तो हूँ नहीं, तो क्या मुझे नहीं मिलना चाहिए आरक्षण?

बल भिकूदा आप आरक्षण से करोगे क्या?

लै कैसी बात कहने वाला ठहरा यार तू । किसी को नौकरी के लिए आरक्षण चाहिए तो किसी को शादी के लिए आरक्षण चाहिए । मुझे तो ठ्यक़ में लम्बी लाइन लगानी पड़ती है रे। आरक्षण होता तो क्या इतनी लम्बी लाइन में मुझे खड़ा होना पड़ता। बस मुझे तो ठ्यक में जाने के लिए आरक्षण चाहिए तो बस चाहिए बल्कि सबसे जादा आरक्षण की ज़रूरत तो मुझे ही है ।

बल भिकूदा ठ्यक में आरक्षण की ज़रूरत ही क्या है आपको ?

यार भुला क्या बताऊँ तुझे । बहुत परेशान हूँ तुझे क्या पता कि कितनी लम्बी लाइन लगानी पड़ती है अगर आरक्षण मिल जाता तो अपना नम्बर जल्दी आ जाता। ठ्यक में फट्ट जाते ही खट्ट करके पऊवा हाथ में मिल जाता। लाइन लगाने में बड़ी टेंशन होती है हो। लाइन लगाने से दश लोगों की नज़र रहती है। कि कब यह पऊवा लाये और दुकान के अंदर इसे रघोणे।
तू ही बता भुला, मेरा भी तो अधिकार बनता है न आरक्षण पर।

हाँ हाँ बिलकुल, बल भीकू दा लोग तो आरक्षण को लेकर रोड जाम कर रहे हैं गाड़ियों को जला रहे हैं ट्रेन की पटरियाँ उखाड़ रहे हैं एसे में आप क्या नया करने वाले हो ?

देख भुला आरक्षण तो मैं लेकर रहूँगा। कई पार्टियों व संगठनों से मेरी बात हो रही है। हम तो न गाड़ी फूकेंगे न ही रोड जाम करेंगे। हमारी प्लानिंग के हिसाब से अबतक हमने दो ट्रक डांसी ढूंग भर कर रख लिए हैं।

बल भीकू दा आरक्षण में डांसी ढूंग का क्या काम ?

देख रे भुला हम बचपन से ही घन्तरी रहे हैं तब एसे में हम ट्रेन की पटरी उखाड़ना, बस जलाना या कुछ और तोड़फोड़ कर अपना नुक़सान नहीं करवाना चाहते हैं डांसी ढूंग साथ लेकर हम आराम से आरक्षण ले लेंगे। तो फिर अपना या देश का नुक़सान क्यों करें ।

बल भिकूदा डांसी ढूंग से आरक्षण कैसे सम्भव है ?

यार तू भी ना बाल की खाल निकाल कर के ही रहेगा। एसा है हम डांसी ढूंग से पहले विधानसभा का घेराव करेंगे वह भी लुक छुप कर। जैसे ही नेता लोग बाहर आएँगे तब हम लुकी लुकी के उनको घंतरिया देंगे। तब किसी का कपाव बजेगा तो किसी का हाथ ख़ूट टूटेगा। फिर जब उन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल लाएँगे तो हम अंदर जाने से पहले उनका घेराव करेंगे। और कहेंगे पहले आरक्षण फिर इलाज। फिर देखते हैं हमें आरक्षण कैसे नहीं मिलेगा..........।

भीकूदा के साथ चर्चा जारी है ........बने रहिये घन्तर के साथ।
पभजोपागल
भास्कर जोशी पागल
9013843459

Monday, February 15, 2016

व्यंग : दिल्ली से आदमी सफ़ाई अभियान


               गांधी जी के तीन बंदरों का ज़िक्र तो आपने अक्सर सुना ही होगा। बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो और बुरा मत देखो। यह गांधी जी ने तब अंग्रेज़ी हुकूमत के द्वारन लोगों से कहा था। अब दिल्ली को नया गांधीगिरी करने वाला यो यो मैन मिल गया है। यो यो मैन की सरकार ने इसमें एक उपलब्धि और जोड़ दी है वह है बुरा मत सूँघो। अब आपको नाख़, कान, आँख और मुँह बंद करके चलना पड़ेगा। अगर विश्वाश न हो तो एक बार घर की बालकनी से झाँककर देखें। आपको तीन के बदले में चार बंदरों वाला फोर्मुला दिखेगा। यह सिर्फ़ दिल्ली की सरकार ने दिल्ली की जनता को यह सौग़ात में दिया है।

               एसा महान कार्य करने के लिए दिल्ली सरकार की जितनी भी तारीफ़ की जाय वह कम है। क्यूँकि दिल्ली को कूड़े में तब्दील करने का जो बेड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है वह शायद ही तीनों कालों में सम्भव हो पाता। लेकिन दिल्ली की झाड़ू वाली सरकार ने यह कारनामा कर के दिखलाया है। जगह जगह पर आपको कूड़े के ढेर देखने को मिलेंगे। अब आपको कुडा, कुडा घर में तलाश करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। हर घर के बाहर कुडा घर बनने लगा है। इस नेक काम के लिए मीडिया भी बहुत ख़ुश है अब उसे कूड़े पर रिपोर्टिंग के लिए कूड़े घर की दौड़ भाग नहीं करनी पड़ती है, सुबह सो कर जब उठते हैं तो बिना नाये धोए कंधे में कैमरा रख कर घर की बालकनी से ही दिन की न्यूज़ मिल जाती है। एसे में दिल्ली सरकार को साबासी देना तो बनता ही है।

15-2-2016 हरदौल वाणी में प्रकाशित 
            वहीं दूसरी तरफ़ देश के प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देश विदेशों में ढोल पीट रहें हैं कि अभी स्वच्छ भारत मिशन हमने बस शुरू ही किया है जो बड़े ज़ोर शोरों से काम हो रहा है। इस नेक काम में दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की इस योजना में पूरा सहयोग दिया है, कुडा सफ़ाई का तो पता नहीं, पर हाँ आदमी सफ़ाई का कार्यक्रम ज़ोर शोरों से है। जगह जगह पर कूड़े से जो दुर्गंद फैल रही है उससे साँस लेने में बड़ी दिक़्क़त आ रही है लोगों का दम घुट रहा है अगर हाल यही रहा तो दिल्ली से आदमी मुक्त भारत का सपना जो यो यो मैन ने देखा है वह साकार होता हुवा नज़र आ रहा है।

           दिल्ली में इस योजना के प्रथम चरण लगभग लगभग सफल हो जाने के बाद यो यो मैन अब दूसरा चरण पंजाब में आदमी सफ़ाई कार्यक्रम करने के उत्साहित हैं। अब पंजाब में आदमी सफ़ाई अभियान। भास्कर जोशी'पागल'

व्यंग: टूथपेस्ट में नमक का लोचा


               एक दौर था जब लोग राख, नमक से दंत मँजन करते थे या नीम की कोमल टहनी से मँजन किया करते थे। तब टीवी जैसे साधन नहीं थे, न ही टूथपेस्ट कम्पनियाँ। फिर भी लोगों के दाँत स्वस्थ और मजबूत थे। दौर चला टीवी का तो नए विज्ञापन व कम्पनियों का दबदबा क़ायम होता चला गया। तब राख, नमक और नीम से मँजन करने वाले को जंगली, गवाँर या फिर स्वास्थ की दृष्टि से इसे नुक़सानदायक बताया गया। यही कारण है कि आजकल टूथपेस्ट कम्पनियों के ऐड हर दो मिनट में दिखाई देते हैं। लेकिन जिन महत्वपूर्ण प्रकृतिक संसाधनों राख, नीम और नमक को हम पीछे छोड़ आए थे उसी को अब टूथपेस्ट कम्पनियाँ पेस्ट बनाकर ऐड के माध्यम से हमें बेच रही है।

             आजकल ऐड का ज़माना है ऐड नहीं तो माल की सपलाय नहीं । साथ ही ऐड कम्पनियां डॉक्टर का सर्टिफ़िकेट भी साथ लिए चलते हैं इसी लिए तो डॉक्टर के साथ ऐड जरूर आता है कि क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है ? और तो और इस ऐड को करने वाली एक खूबसूरत महिला होती है इसलिए भी कि लोगों का ध्यान महिलाओं पर जादा आकर्षित होता है। ताकि लोग इस टूथपेस्ट को जरूर देखेंगे और खरीदेंगे।
इस ऐड में हमें बताया जाता है कि दांतों को साफ करने के लिए टूथपेस्ट में नमक होना कितना आवश्यक है अगर नमक नही हुवा तो आपका टूथपेस्ट काम का नही सिर्फ झाग देगा और कुछ नही । वही दूसरे टूथपेस्ट कंपनी होड़ में और बढ़िया दामों से ऐड सूट करवाती हैं। ऐड भी किसी खूबसूरत बॉलीवुड अदाकारा हेममलनि या फिर माधुरी दीक्षित जैसे अभिनेत्री कहते हुए दिखाई देती है कि क्या आपके टूथपेस्ट में नीम है? नहीं है तो आज ही घर बैठेबैठे ऑनलाइन शौपिंग द्वारा मंगाएं और पाएं एकदम स्वस्थ नीम गुणकारी टूथपेस्ट। बनाये अपने दांतों को मजबूत, कीड़ा छूमंतर।

हरदौल वाणी 8-2-2016 को प्रकाशित 
             जब इतनी ख़ूबसूरत अभिनेत्री टूथपेस्ट का ऐड देंगी तो टूथपेस्ट बिकना ही बिकना है। लाज़मी है कि हम भी अपने दाँतों को उसी अदाकारा की तरह मजबूत और स्वच्छ देखना पसंद करेंगे। भले ही वह टूथपेस्ट घटिया क्वालिटी का ही क्यूँ न हो। पेस्ट में नीम या नमक हो या ना हो लेकिन अदाकारा ने तो अपनी तिजोरी में भारी भरकम रक़म जमा कर ही ली होगी । बाहर लोगों को क्या मालूम कि अदाकारा कौन सा टूथपेस्ट स्तेमाल करती है। करती भी है या नहीं किसे मालूम ।लेकिन आपके टूथपेस्ट में नमक होना ज़रूरी है।

            यही आलम कुछ दिल्ली की जनता का भी है। मुख्यमंत्री यो यो मैन दिल्ली की जनता से पूछते हैं क्या आप आम आदमी हैं ? नहीं हैं तो आज ही ऑनलाइन सदस्यता लें। तब आप आम आदमी हैं । आम आदमी होने के लिए आपको सदस्यता लेनी होगी नहीं तो वही पुराने नीम, नमक और राख से दंतमँजन करने वालों की तरह जाहिल,जंगली, गँवार ही माने जाएँगे। मगर आपको आदमी बनना है तो, आम आदमी की सदस्यता और टूथपेस्ट में नमक होना ज़रूरी है।
तो - क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है ? -भास्कर जोशी "पागल"

Thursday, February 4, 2016

यदि मैं प्रधानमंत्री होता

यदि मैं प्रधानमंत्री होता
गदा धारी भीम की खातड़ि में
क्रिकेट मैच करवाता
उल्लू वोलिंटीयर होते
भालू होते दर्शक
यदि मैं प्रधानमंत्री होता
न जाना पड़ता विदेश खेलने
न ही भाडे का ख़र्च देना होता
अंपायर भी अपने फ़िक्स होते
हारने का भय तुम्हें न सताता
तुम्हीं जीतते तुम्हीं हीरो होते
यदि मैं प्रधानमंत्री होता
वर्ड कप भी अपना होता
हारे या जीते तो भी अपना होता
किसी की मजाल न होती हमसे वर्ड कप ले जाने की
कैप्टन की दावेदारी को लेकर
आपस में मारा मारी न करते
वर्ड कप घर में ही बनता घर में ही रहता
यदि मैं प्रधानमंत्री होता।प.भ.जो.पागल

गेवाड़ घाटी