सोच कुछ सोच
क्या है तू ?
करना क्या चाहता है तू ?
तेरी मंजिल है क्या ?
इस दुनियां की भीड़ में
कहीं खो न जाना तू ?
कर मन को एकत्रित
कुछ सोच ऐसा
कर कुछ ऐसा
कि दुनियां तुझे पुकारे
अपनी एक राह पकड़
राह को अपनी मंजिल बना
कर दे कुछ ऐसा
जिस से जीवन सफल हो जाय.....भास्कर जोशी