Wednesday, July 22, 2015

मैं भी आम आदमी होता ....


सोमवार 13 जुलाई 2015 हरदौल वाणी 
काश मैं भी आम आदमी होता
काश मैं भी चाय वाला होता
एक बड़ा सा बंगलो होता
उसमें मेरे दफ्तर होते
दफ्तर में बैठे मेरे चमचे होते
और में उन्हें भाषण सुना रहा होता
काश कि मैं भी आम आदमी होता |

बंगले में चमचमाती लाइटें होती
किस्म किस्म के बल्ब लगे होते
लाखों में बिजली के बिल आते
और मैं चैन कि सांस लेता
कास कि मैं भी आम आदमी होता|

बंगले में पानी के बड़े बड़े टैंक होते
आगन में पानी के फब्बारे होते
एक बड़ा सा स्वीमिंग पुल होता
इस धधकती गर्मी में राहत भरी ठंडक लेता
काश कि मैं भी आम आदमी होता |

बंगले में लग्जरी गाड़ियाँ सजी होती
बिजनेश क्लाश में विदेश हवाई यात्रा करता
सूटकेश भर-भर कर चंदा लाता
विज्ञापन हेतु करोड़ों खर्च करता
तब मैं भी खास किसम का आदमी होता
काश कि मैं भी आम आदमी होता |
-भास्कर जोशी “पागल”

गेवाड़ घाटी