भारतीय संस्कृति का आधार ही
गौ है| एक समय था जब भारत देश सोने की चिड़ियाँ कहलाया करती थी| तब यहाँ दूध, दही,
घीं की नदियाँ बहती थी जिससे लोग हष्ट पुष्ट रहते थे, रोगों से मुक्त रहते थे,
भारत में गौ, गंगा और गांव का विशेष स्थान रहा है, और आज तीनो खतरे में हैं| नष्ट
होता गौ वंश, मैली होती गंगा और प्लायन होते गांव| तीनो खतरे से खली नही| और यही
कारण है कि आज भारत की नींव हिली हुई है | जब तक भारत की नींव उसकी जड़ यदि मजबूत न हो तकस दरार पड़ना संभव है और भारत
की नींव ही गौ, गंगा और गांव है| गौ डीके महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है अपितु
वैज्ञानिक चिकित्सा, आर्थिक, स्वास्थ्य, पर्यवरण की दृष्टि में भी सामान रूप में
महत्वपूर्ण है| गाय किसी भी स्थिति में गोपालक इज बोझ नहीं बनती, दूध, दही, घीं के
अलावा भी गोबर तथा गौमूत्र से गोपालक को बहुत कुछ देकर पेट भरने में सक्षम है | गौ
माता धार्मिक दृष्टि से भारतीय जन जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है| पुराने समय
के लोग शुद्धिकरण के लिए पंच गव्य का सेवन करते थे| जो गौ के पांच दूध, दही, घीं,
गौमूत्र तथा गोबर से युक्त होता था| इस पंच गव्य से मनुष्य रोग व दोष से मुक्त
होता था| आज वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गौ मूत्र से कैंसर जैसी बीमारी ठीक हो सकती
है और गोबर से घर में लेप करने पर महामारियों का नाश होता है | जिल गाय ने हमें
सदियों से संकट से सदा उबारा है आज उसी गौ माँ पर संकट मडरा रहा है| लोग चंद
पैसों-डॉलरों के वशीभूत होकर गौ हत्याएं कर रहे हैं | सिर्फ लालच के लिए गौ माता
की हत्या करना निंदनीय है | यदि गौ मांस की जगह गौ सेवा करते तो गौ मांस से अधिक
दूध, दही, घीं से धन अर्जित दज सकते हैं| लेकिन गौ हत्या करने वालों का ध्यान
सिर्फ विदेशी मुद्राओं की ओर है और इन्हीं विदेशी मुद्राओं के कारण आज गौ वंश संकट
में है | गौ की हत्या कोई मुद्राओं के लिए करता है तो कोई अपने ऐसो आराम के लिए गौ
भटकने के लिए अपने घरों से खतेड देते हैं |
मुझे कुछ वर्ष पहले की एक
घटना याद आ रही है- एक बुजुर्ग महिला जो गांव छोड़ शहर में अपने बच्चों संग रह रही
थी | अचानक एक दिन बुजुर्ग महिला को दौरा पड़ा, जिसे देख घर के बाकी सदस्य चकित रह
गये| बुजुर्ग महिला ने अपने गले में रस्सी डाल एक खूंटे पर बांध लिया, और गाय की
तरह अजीब हरकतें करने लागी| इन हरकतों को देख बुजुर्ग महिला के बहु बेटे दांग रह
गये और उन्हें कुछ समझ में नही आया| उन्हीं के पड़ोस में उनके गांव के एक बूढ़े आदमी
रहते थे| वे लोग उनके पास गये और उन्हें सारी घटना बतलाई, सुनकर बूढ़े आदमी के होश
उड़ गये| अब तक के जीवन में एसा पहली बार सुना | बूढ़े आदमी को कुछ समझ में नही आया
और अच्छे डॉ को दिखाने की सलाह दी | बेटा अपनी माँ को लेकर डॉ को सारी बात दोहराई
डॉ भी सुनकर अचंभित हो गया| डॉ ने बेटे लस कहा आपकी माता जी को दिमागी दौरा पड़ा है
जिसके कारण वह ये सब कर रही है| डॉ ने दवाई की पर्ची बनाई और समय समय पर देने को
कहा |
डॉ की दी हुई दवाइयां जब तक
असर करती थी तब तक बुजुर्ग महिला भी ठीक ठाक ही रहती थी, दवाइयों का असर कम होते
ही वही दौरे शुरू होते थे| बहु बेटे परेशान हो गये और उन्होंने अपने गांव से दो
चार सूझ बुझ वाले बुजुर्गों को बुलाया और उन्हें अपनी माँ का हाल दिखाया सभी देख
चकित रह गये| रात भर सब कुछ देखते रहे, सुबह सभी एक साथ बैठे और सोच विचार किया की
सायद पैत्रिक दोष हो सकता है, और गाँव जाकर दोनों माँ बेटे को समस्या सुलझाने को
कहा |
बेटा अपनी माँ को लेकर गाँव
की ओर रवाना हुआ| गांव पहुंचा ही था की गांव के सभी लोग हाल चाल पूछने आ पहुंचे|
गांव के लोगों ने जब बुजुर्ग महिला का हाव भाव देखा तो सभी हक्के बक्के रह गये और
आपस में ही एक दुसरे से बातें कर रहे थे, कि महिला को भुत प्रेत की पकड़ लागी है यह
लैब बातें सुन कर बेटा हतास होने लगा, तभी एक बूढ़े व्यक्ति वहां पहुंचे जिनकी उम्र
तक़रीबन 90 के आस पास की होगी | उन्होंने बेटे को अपने पास बुलाया और कहा-“बेटा एक काम करो देव पूजा कराओ शायद आपकी परेशानियाँ हल हो जाए|” बेटे ने बात मानी और शाम को ही देव पूजा की
व्यवस्था करवाई| जिस आदमी में देवता प्रकट होते थे उन्हें आसन पर बैठाया और आह्वान
किया, आह्वान करते ही देवता प्रकट हो गये| देवता से बेटा अपनी माँ का बुरा हाल
देखकर लड़-झगड़ पड़ा| बोला “मेरी माँ के साथ अन्याय क्यों कर रहे हो क्यों तडपा रहे हो ?” देवता ने उत्तर दिया-“जैसा किया है वही भोगना है|” बेटे ने पूछा- “क्या किया है मेरी माँ ने, जो एसी याचनाएं दे
रहे हो|” देवता बोले-“तेरी माँ ने तुम्हारा साथ रहने के लिए उल गाय की हत्या की है जिस गाय के
वंशजों ने तुम्हे पाला है और उसी गाय को तेरी माँ ने दूर जंगल में एक पेड़ पर बांध
कर छोड़ दिया जो बिना पानी,घास से तडपती हुई मर गयी, और वही गाय आज आत्मा बनकर तेरी
माँ को सता रही है|” देवता की बात सुनकर गाँव के लोग उन्हें कोसने लगे| बेटे को यह सब सुनकर गहरा
आघात पहुंचा पर बेटा अपनी माँ को तड़पता हुआ कैसे देख सकता था| उसने देवता से दोनों
हाथ जोड़कर क्षमा याचना की और इस संकट से उबरने के लिए देवता से प्रार्थना की |
देवता ने बेटे की मात्री भक्ति को देखते हुए कहा- “जाओ गाय का श्राध करो और दूध देने वाली गाय का
दान करो सभी संकटों से मुखत हो जाओगे|” बेटे ने दुसरे दिन ही गौ माँ का श्राद्ध कर दूध देने वाली
गाय का दान किया| जिसके चलते कुछ ही दिनों में उसकी माँ ठीक हो गयी |
प्राचीन काल से गौ
की महत्वता तथा विशिष्ट स्थानों पर उल्लेख
हमारे वेद, पुरानो तथा धर्म शास्त्रों में स्थान-स्थान पर देखने को मिलता है |
ऋग्वेद में कहा है-“गायों को बलवती करो, जनता को बलवती करो, हानियों को नष्ट करो, रोगों को बहार
करो|” गौ माता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने में प्रातः स्मरणीय है वन्दनीय
है| यह सिर्फ हिन्दू धर्म मैं ही नही बल्कि अनेकों धर्मों में भी गौ वंश को
प्राथमिकता डी गयी है | इस्लाम धर्म में भी गाय की कुर्बानी करना इस्लाम धर्म नहीं
है (फतवे हुमायूँनी, भाग 1 पृष्ठ 360)| न तो कुरान न तो अरब की प्रथा ही गया की
कुर्बानी का समर्थन करती है\ मौलाना हयात साहब मुल्लाओं की राय लेकर अफगानिस्तान
के अमीर ने गौ वध बंदी का कानून बनाया था और उसी के आधार पर एक फरमान जारी करके
हैदराबाद के निजाम ने अपने राज्यों में गौ वध बंद करवा दिया था| मुस्लिम धर्म के
संस्थापक का कहना था-“गाय जानवरों का सरदार है उसकी इज्जत करने की आज्ञा दी|” तब से आज-तक गाय की कुर्बानी मक्का सरीफ में
नही हुई है यही नही जैन, पारसी, यहूदी, इसाई व सिक्ख धर्म में भी गौ की महानता का
उल्लेख किया है|
शायद पढने वालों को यह तथ्य
चौकाने वाला लग सकता है कि निरीह व मूक प्राणियों की बेतहाशा बढ़ती हत्याओं के कारण
भूकंप जैसी महा विनाशकारी स्थति का होना है | यह तथ्य दिल्ली विश्वविध्यालय के
वैज्ञानिको मुहम्मद सैयद, मोहम्मद इब्राहीम एंव डॉ विजयराज सिंह के साथ तैयार किये
गये एक शोध पत्र में सिद्ध कर दिया है कि भूकंप, मनुष्य की मूर्खताओं से पनपते हैं
और यदि मनुष्य चाहे तो इनको रोक सकता है| “बिस प्रभाव” के नाम से इस शोध
पत्र को जून 1995 में मोस्को के निकट सुजडल नामक शहर में आयोजित एक अंतरार्ष्ट्रीय
वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था| यह शोध पत्र में बताया है कि विज्ञान
द्वारा तरंगों के बल वर करिश्में दिखाए हैं तथा तरंगों के द्वारा ही परमाणु
विस्फोटक, रेडियोंए, टी वि तथा उपग्रहों का संचालन होता है| वैज्ञानिकों के अनुसार
पृथ्वी पर तीन प्रकार की तरंगे निकलती हैं (1) प्राथमिक तरंग (2) द्वितीय तरंग (3)
तलीय तरंग| प्राथमिक तरंगें व द्वितीय तरंगें जीवों की हत्या के समय उत्त्पन्न
दारुण वेदना (आह) से निकलती है लगातार प्राणियों का वध होने से इसी प्रकार की
तरंगें उत्पन्न होकर संकलित होती रहती हैं| जब धीरे-धीरे इन तरंगों की उर्जा शक्ति
विस्फोटक स्थिति तक पहुँचती है तो पृथ्वी में कंपन होने लगता है जो भूकंप का रूप
ले लेता है | इस तथ्य को जापानी और चीनी अध्ययनों ने भी पुष्टि की है|
आज भारत में जिस तेजी से गौ
हत्याएं हो रही है, धड़ले से गौ मांस बिक रहा है यह निंदनीय है| गाय की दारुण वेदना
ले विनाश उग्र रूप ले सकता है| इसलिए गौ रक्षा हेतु शासन प्रशासन और हमें खुद ही
पहल करनी होगी| पशु क्रूरता और गौवध प्रतिषेध कृषि पशु परिक्षण अधिनियम को कठोरता
से लागु करने की जरुरत है| गौ वंश की हत्या को रोकने का एक मात्र उपाय है कि गौ
वंश का संरक्षण हो, उनका संवर्द्धन हो तथा उसे हर स्थिति में उपयोगी समझते हुए
उसका उचित पालन-पोषण हो| गौ वंश को आवारा भटकने के लिए नही छोड़ा जाय| जो गया दूध
नही देती है उसके गोबर व गौमूत्र के विभिन्न तरह के उपयोग द्वारा उसके भरण पोषण की
व्यवस्था पशुपालक स्वयं अपने स्तर पर करें| ताकि होने वाले विनाश को रोका जा सके
और गौ की रखा था सेवा हो सके....|
-भास्कर जोशी