Monday, December 14, 2015

पहाड़ी व्यंजन बनाने की विधि

1- झोइ बनाने की विधि

पागल पहाड़ी के साथ जाने झोइ बनाने की विधि-
क्या आपको झोइ बनाने की विधि मालुम है?
अगर नही है तो जरूर जानें -
झोइ बनाने के लिए सामग्री में छांछ, लहशन, मेथी, एक जड़ मू, और थोडा गेहूं का आटा और कच्चे हरे धनिये के पत्ते।
कढ़ाई को चूले में चढ़ाएं गरम होने पर दो चमच्च तेल डालिये, जब तेल गरम हो जाए तो मेथी का तड़का लगाईये।मेथी जब हल्का लाल हो जाये तो लहशन के के टुकड़े डालिये इसे भी हल्का लाल होने दें ।
 अब चूले की आंच धीमा कर नियमानुसार आटे को हलकी आंच में हल्का भूरा होने तक भून लीजिये। जब आटा भून जाये तो आपको आटे की पकने की महक सुनैंन-सुनैन खुशुब आने लगेगी। आटा भून जाने के बाद सामग्री के अनुसार छाछ डाल दीजिये। नियमानुसार हल्दी, हरी मिर्च, और नमक का प्रयोग करें,
अब आपके पास एक मूवक जड़ बचा है उसे साफ कर उसके चार बड़े बड़े पीस बनाइये। उसके बाद सिलबट्टे में लेजाकर मू के टुकड़ों को थेच् दीजिये, अब उसे उबलते हुए झोइ में डाल दीजिये। झोइ को अब कम से कम 15 मिनट तक पकने दें। 15 मिनट में आपकी पहाड़ी स्पाइसी झोइ तयार। तैयार होने के बाद अब अंत में कच्चे हरे धनिये को बारीक़ काट कर उसे झोइ में ऊपर से डाल दें । और यह आपकी स्पाइसी पहाड़ी झोइ तैयार।
नोट: कई लोग गेहूं के आटे की जगह बेशन का उपयोग करते हैं जबकि बेशन से वह कड़ी या फिर बेषणक डुबक बनते हैं और आपको शुद्ध पहाड़ी झोइ बनानी है तब ऐसे में बेशन का उपयोग कदापि न करें । -पं. भास्कर जोशी

2- गुड़ झोइ बनाने की विधि 

ठण्ड बहुत है कुछ दिन में और ठण्ड बढ़ने की उम्मीद है ऐसे में गुड़ झोइ मिल जाए तो आनंद आ जाये। ठण्ड के दिनों में यह बहुत कारगर होती है अथवा गरम होती ही साथ ही ताकतवर भी।
पागल पहाड़ी के साथ जाने गुड़ झोइ बनाने की विधि-
सामग्री- 100 ग्राम घी, 200 ग्राम गुड़, 50-70 ग्राम गेहूं का आटा, भुजकोर, लोहे की कढ़ाई, कितोलि, डाडू, पणियाँ,
चूल्हे पर विशेष ध्यान दें इसके बिना गुड़ झोइ नही बन पायेगी।
बनाने जी विधि- गुड़ को थोडा भुजकोर में कोर लीजिये, फिर उसे कितोलि में दो गिलाश पानी के साथ डालकर चूल्हे में चढ़ा दें। ध्यान रहे चूले के निचे आग भी जलनी चाहिए । कुछ ही देर में आपका गुड़ पिघल जायेगा। 5 मिनट उसे और पकने दें उसके बाद उसे उतारकर कुछ समय के लिए अलग रख लें।
अब आप कढ़ाई को चूल्हे पर चढ़ाएं । 100 ग्राम घीं कढ़ाई में डालें, घीं को थोडा गरम होने दें। अब गैंस या चूल्हे की आंच थोडा कम कर दीजिये। कढ़ाई में मात्रा अनुसार 50-70 ग्राम गेहूं का आटा डालें। ध्यान रहे आटे की मात्रा अधिक न हो नतर पिसियक हल्लू बनजायेगा। हल्की आंच में पणियां से बराबर आटे को हिलाते रहें जबतक वह ललांग-ललांग न हो जाए याने की हल्का भूरा रंग। जब ऐसा होगा तब उसकी सुनैंन सुनैन खुशबु आपतक आने लगेगी।
अब आपने केतली में जो गुड़  पकाया है उसे पके हुए आटे में मिला लीजिये। डाडु से उसे थोडा तेज हाथ चलायें नही तो ढ़िन बनने की अधिक संभावनाएँ होती हैं ध्यान रहे उसे अधिक गाढ़ा न होने दें जरुरत पढ़ने पर थोडा पानी और बढ़ा सकते हैं आपको गुड़ झोइ  को पीने लायक बनाना है जिसे घुटुक मारकर पिया जा सके। पानी डालने के बाद उसे 10 मिनट तेज आंच में पकाएं। और अब आपकी गुड़ झोइ बनकर एकदम तयार है।
इसी तरह आप मडुवे की बाड़ि भी बना सकते हैं -
मिलते रहेंगे अगले पकवान के साथ एक पहाड़ी भूले विसरे व्यंजन लिए- पं. भास्कर जोशीपागल


3-भट के डुबुके

पहाड़ी भट्ट के डुबुके बनाने की विधि
कल सन्डे याने इतवार का दिन है भट्ट के डुबुके खाने हौं तो आइये जाने पागल पहाड़ी के साथ भटक डुबुक और भात बनाने की विधि|

सामग्री :- चार मुट्ठी पतले भट, दो मुट्ठी चावल, दो छोटे डाडू तेल, मेथी दाना, हल्दी, मिर्च, नमक, हरा धनियाँ, कढाई, डाडू इत्यादि

महत्वपूर्ण बात : चूले का विशेष ध्यान रखें इसके बिना पकना असम्भव है गैंस बराबर चैक कर लें आधे में हाथ रुकना डुबुके में खलल उत्पन्न हो सकता है|


बनाने की विधि : परिवार अनुसार पतले भट (चार मुट्ठी भट) शाम को सोने से पहले भीगा दें, यदि पतले भट न भी हो तो ऐसे में मोटे गोल वाले भट को ही भीगा लें,  उसी के साथ दो मुट्ठी चावल भी भिगाने डाल दें, रात्ती पर बेर्रे उठकर सिलबट्टे में पीस लें | ध्यान रहे मिक्सी का प्रयोग कतई न करें, सिलबट्टा न हो तो एक दिन के लिए मुझसे ले जाएँ, बाद में वापस भी कर देना ठहरा, वैंच -पेंच ठहरा हो|भट को पीस कर किसी एक बर्तन में रख लें जिसमें सारा अटा जाये छोटे बर्तन में रखने पर फोकी जायेगा|

भट पिसने के बाद चूल्हा जलाएं, एक बर्तन डेग या तौली में पानी गरम करने रख दीजिये, पानी गरम हो जाए तो उसे अलग रख दें, अब कढाई को चूले पर चढ़ाएं, फिर कढाई में दो डाडू तेल डालें, अब तेल को थोडा गरम होने दें, गरम होने के बाद  मेथी का तड़का लगायें, अब आपने जो भट पीसे हैं उसे कढाई में उड़ेल दें, उसी के पीछे मात्रा अनुसार पानी भी उड़ेल दें, अब उसे कुछ देर हिलाते रहे, जब तक कि उमाव जैसा न आये|

डुबुक में उमाव आने के बाद चूल्हे की आँच धीमा कर दें, अब मात्रा अनुसार नमक, हरीमिर्च बारीक़ काटकर डालें, और बहुत कम हल्दी बिलकुल नाम मात्र ही डालें| अब उसे हल्की आंच में पकने दें और बीच बीच में हिलाते रहे| नही  तो तली बटी कढाई में ताव लग जायेगा| थोडा बहुत ताव लगने भी दें जिससे कि डुबुके में भाद्याऊ  दूध जैसी खुसबू आने लगेगी तो समझ जाइए डुबुके तैयार है जब डुबुक बन जाए तो हरा धनियाँ बारीक काटकर डुबुके में डाल दें |
अब आपका  स्पाइसी भट के डुबुके तैयार हैं |

दुसरे चूले में अपने परिवार के मात्रा अनुसार रोज की तरह भात पका लें| भात तो आपको पकाना आने वाला ही ठहरा|


4-   मासक चैंस और भात

पागल पहाड़ी के साथ जाने मास की चैंस बनाने की विधि।

सामग्री- साबुत उड़द (माँस), तेल, नमक, हरी मिर्च, हल्दी, जखिया, धनिया, टमाटर, प्याज, घी , हींग, इत्यादि |
बर्तन: कितोली, सिलबट्टा, डाडु, पणीयां, लोहे की कढ़ाई, सिल्वर का डेग आदि|

महत्वपूर्ण बात - चूल्हा चौका की सही से जाँच पड़ताल कर लें, सिलबट्टे को सही से धो लें। आपके घर में संगव बहुत होते हैं , सावधानी जरुरी है। नही तो स्वाद में खलल उत्पन्न हो सकता है।

बनाने की विधि-  परिवार की जनसँख्या अनुसार साबुत माँस लें। और उसे सिलबट्टे में पीस लें। पीसने में थोड़ी कठनाई जरूर होगी क्योंकि क्वर्रे मॉस पीसने में यथाहं उथाहं को भाजने लगते हैं इसलिए हलके हाथ से पहले माँस को दई लें,  फिर उसे पीसें, आसानी होगी। मास को पीस लेने के बाद उसे किसी बर्तन में रखें। अब प्याज टमाटर को बारीक़ काट कर अलग रख दें।

चूल्हा जलाएं । चूल्हे में एक कितोली पानी चढ़ा दें। पानी को उमाय लें। उसके बाद उसे अलग रख दें| अब चूल्हे में कढ़ाई चढ़ा दें। कढ़ाई में तेल डालें। अब पीसी हुई माँस को कढाई में डालें| चूल्हे की आंच धीमी कर पणियां से हलके हाथ खिरोय्ते रहें जबतक की उसका रंग थोडा भुर भुर किसम का  न हो जाए| जब हल्का भूरा हो जाये तो कितोली का गरम पानी मात्रा अनुसार कढाई में उड़ेल दें। डाडू से थोडा तेज हाथ से उसे खिरोयें नही तो ढिन बनने की समभावना होती है | पानी की मात्रा अधिक न हो वरना चैंस छिर्री जस जायेगा | पानी डालने के बाद अब उसे हल्की आंच में थोड़ी देर पकने दें |

इधर दूसरा चुल्हा जलाएं उसमें डेग को चढ़ा दें| डेग में दो चमच घीं डालें, घीं गर्म होने पर जखिये का तुणुक लगायें| जैसे ही जखिया तडबड़ाने लगे तो बारीक कटा हुआ प्याज डाल दें | चूल्हे की आंच धीमी कर दें और प्याज को हलके भूरे होने तक कहूँनते रहें भूरे होने पर टमाटर डालें, डाडू से उसे बराबर हिलाते रहे, टमाटर गल  जाने के बाद दुसरे चूल्हे में चढ़ाया गया चैंस को देखते हुए मात्रा अनुसार नमक, हरी मिर्च, धनियाँ हल्दी डालें, नाम मात्र दो कणिक हिंग लें और उसे डाडू में गर्म पानी के साथ घोल लें, घोलने के बाद उसे मसाले के साथ मिला दें.. मसाला तैयार हो जाने पर उसे माँस की चैंस में मिला दें, डाडू से उसे दो चार बार घुमा दें ताकि मसाले सही से घुल जाए. अब धीमी आंच में पञ्च मिनट तक उसे और पकने दें..अब आपका ठेठ पहाड़ी मासक चैंस बनकर तैयार|

भात रोज की तरह परिवार की जनसँख्या को देखते हुए नियमानुसार बनायें..
हो सकता है मासक चैंस के साथ भात अतिरिक्त खा सकते हैं इसलिए भात के लिए  कितोली में पानी गरम कर के रखें नही रो रस्यार को खुण खुण भान देखने को मिल सकते हैं इसलिए व्यवस्था पहले से बनाकर रखें- ठेठ पहाड़ी पकवान के साथ आपका पागल पहाड़ी
©भास्कर जोशी पागल


3 comments:

Gopu Bisht said...

जोशी ज्यू....गज़ब का पहाड़ी तड़का। मजा आ गया हो।

Gopu Bisht said...

वाह जोशी मजा आ गया गज़ब का पहाड़ी तड़का लगाया आपने। मासक चैंस और भात तो गज़ब ही होने वाला ठहरा।

Unknown said...

धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार पहाड़ी व्यंजन के बारे में जानकारी के लिए, नमस्कार

गेवाड़ घाटी