मित्रो ये दो मित्र ऐसे हैं जो एक दुसरे के बगैर रहा नही सकते । उत्तराखण्ड "म्यर गेवाड़ घटी"
से ये दोनों मित्रो की दोस्ती का कुछ अनोखा अंदाज है इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं
बिक्की और कन्नू, भगवान से प्रार्थना करूँगा की इन दोनों की दोस्ती में कभी कोई दरार
न आए । मित्रो इन दोनों का दृष्टान्त में आप लोगों को इन दोनों से रूबरू करने की कोशिस
करूँगा ।
कन्नू, बिक्की से लगभग
ढेड साल बड़ा है । परन्तु ये दोनों साथ ही रहे हैं चाहे स्कूल की बात हो या फिर कुछ काम करना हो दोनों
साथ ही रहा करते थे । जब ये दोनों छोटे थे, इनके घर वालों ने इन का दाखिला प्राइमरी
स्कूल में करवा दिया । कन्नू को प्राइमरी पाठशाला डांग में और बिक्की को प्राइमरी पाठशाला
जेठुआ स्कूल में परन्तु इन दोनों का कोई पता नही कब कौन से स्कूल चले जाएँ । कभी मन
करे तो बिक्की कन्नू के स्कूल में चले जाये, तो कभी कन्नू बिक्की के स्कूल में चले
जाये दोनों की कक्षा एक ही थी । कन्नू को उनके घर वालों ने देर में ही दाखिला करवाया
था । पर अब ये दोनों तीसरी कक्षा में पहुँच चुके थे, फिर भी ये दोनों का कोई पता नही
कब कौन से स्कूल चले जाएँ । घर वालों को इन
दोनों का रास पसंद नही आया दोनों के परिवारों ने मिलकर ये गुत्थी सुलझाई तद पश्च्यात कन्नू को भी बिक्की के साथ ही एक ही स्कूल में दाखिला करवा दिया गया । कन्नू और बिक्की
अब एक साथ आना जाना और एक ही स्कूल में पढना दोनों जहाँ जाते साथ ही जाते । एक दिन
की बात है मास्टर जी स्कूल में इमला लिखा रहे थे । उन दिनों सभी बच्चे सब होल्डर जिप
पैन जो शाही से लिखा करते थे । लिखने के दौरान बिक्की से कन्नू की शाही गिर गयी । यहीं
से दोनों की खट-पट सुरु हो गई । कन्नू ने बिक्की से साही के पैसे मागे उन दिनों शाही
की छोटी से बोतल पचास पैसे में भरी जाती थी । परन्तु बिक्की के पास पैसे नही थे,
उस दिन कन्नू के साथ बिक्की का मनमुटाव होने लगा । बिक्की, कन्नू से बार बार बोलता
किन्तु कन्नू बोलने से इंकार करता रहा । घर पहुचने के बाद दोनों अपने गांव के साथियों
के साथ बैट-बौल खेलने चल दिए । पर कन्नू उस से बात करना ही नही चाहता था। इसी बात पर
गांव के और
बच्चों ने एक
निरणय लिया ।
बिक्की और कन्नू
को बैट-बौल
मैच का कैप्टन
बनाया गया, और
दो-दो रूपये का मैच
लड़ाया गया, और
यह बोल दिया
यदि बिक्की जीता
तो कन्नू उसे
बोलेगा और यदि
हरा तो कन्नू
उसे कभी नही
बोलेगा । होना
तो कुछ और
ही था दोनों
दोस्तों को किस प्रकार
से दोस्ती को तोडा गया । साथ के
मित्र इन दोनों के झगडे से आनन्द
ले रहे थे । मैच शुरु हुआ
और गांव के
लड़कों ने बिक्की
को हराने की
बात एक दुसरे
के कान में
फूंक दिया ।
अब क्या था
बिक्की को तो
हारना ही था
वह हारने के
बाद एक पेड़
के निचे बैठ
गया । और
गांव के लड़के
उसका मजाक बनाना
शुरू कर दिया
। बिक्की निराश
होकर अपने घर
लौट आया ।
दुसरे दिन स्कूल
जाते समय बिक्की
कन्नू को स्कूल
आने के लिए
आवाज दे परन्तु
कन्नू आवाज का
उत्तर देने को
ही राजी नही हुआ । दोनों
स्कूल पहुंचे प्रार्थना
होने के बाद
दोनों अपनी कक्षा
में पहुंचे, बिक्की
ने देखा कन्नू
आज दूसरी लाइन
में बैठा है
बिक्की निराश होकर अपनी
रोज की स्थान
पर बैठ गया
। यह कारवां
चलता रहा सभी
को इस बात
की भनक हो
चुकी थी, घर
वालों को भी
पता चल चूका
था ये दोनों
बोल नही रहे
हैं । सभी
ने अपनी अपनी
और से मित्रता
करवाने की कोशिस
की पर नाकामियाब
रहे । दोनों
जाते तो एक
ही स्कूल में
और एक ही
कक्षा में परन्तु
बोलना नामुकिन सा
हो गया ।
अब महिना बीतने
लगा धीरे धीरे
साल बिता ।
समय का पहिये
चलता रहा परन्तु
दोनों एक दुसरे
बात नही करने
लगे । अब
दोनों पांचवी कक्षा
में पहुँच गये
। एक दिन
स्कूल के मास्टर
श्री उर्वादत्त पोखरियाल
जी ने ठान
ली आज दोनों
की बात करवानी
ही है मासाब
ने दोनों को
पहले एक साथ
बैठाया, बोले की
तुम दोनों एक
ही किताब से
गणित के सवाल
हल करोगे, दोनों
सवाल हल करने
लगे लेकिन एक
दुसरे से बोले
नही दोनों चुप
चाप से जैसे
भी हो सके
सवाल हल किया,
मास्टर जी ने
दोनों की कापी
देखि दोनों के
प्रश्नोत्तर अलग अलग
थे । मास्टर
जी ने उन
दोनों का हाथ
मिलाने की कोशिस
की पर दोनों
ने बहुत मार
खाया परन्तु हाथ
नही मिलाया ।
मास्टर जी ने
भी अपनी हार
मानने में ही
अपनी भलाई समझी
। दोनों का
अबोल यूँ ही
चलता रहा। सात
साल हो चुके
थे दोनों को
न बोलते हुए,
दोनों एक सात
एक ही स्कूल
में पड़ते चले
गये, लेकिन बोल
बाला नही हुआ
। अब दोनों
नवीं कक्षा में
पड़ने लगे ।
इसे ही इन
दोनों का समय
बीतता गया ।
एक दिन की
बात थी गांव
में शादी का माहौल था सांयकाल में गाने
बजने का कार्यक्रम
चल रहा था
। सभी गाँव
के लड़के एक
साथ इक्ट्ठा होकर
फल-फूल चुराने का अपना कार्यक्रम बना रहे थे,
बिक्की और कन्नू
भी सामिल होना
चाहते थे ।
एक बार फिर
गाँव के लड़कों
ने दोनों के
साथ एक और
शर्त रखी, पर
इस बार दोनों
की मित्रता का
प्रस्ताव की बात
थी । बोले
तुम दोनों तभी
हमारे साथ आओगे
जब तुम दोनों
एक दुसरे से
बोलोगे । शर्त
मंजूर हुई लेकिन
एक समस्या आन
पड़ी बात यह
थी कि दोनों में
पहले कौन बोलेगा,
न ही बिक्की
बोलने को राजी
था न ही
कन्नू बोलने को
राजी था ।
बड़ी दुविधा आन
पड़ी थी इस
गुत्थी को सुलझाने
की लिए कई
नुक्से अपनाये गये परन्तु
गांव के लड़के
फिर भी सुलझा
नही पाए ।
एक मित्र ने
बड़ी समझदारी वाली
बात कही बोला
एक काम करते
हैं एक रूपये
के सिक्के से
ट्रौस करते हैं
यदि हैड आए
तो बिक्की पहले
हाथ मिलाएगा और
यदि ट्रेल आए
तो कन्नू पहले
हाथ मिलाएगा ।
दोनों इस
सुझाव से
खुश हो गये,
पर दोनों के
दिलो में धकाधाकाहाट
होने लगी दोनों
के मन में
एक ही बात
उमड़ रही थी
कन्नू बोलेगा तो
अच्छा है और
कन्नू भी यही
सोच रहा था
पहले बिक्की बोले
तो अच्छा होगा,
इस बार बिक्की
के पक्ष में
गया । ट्रौस किया गया ट्रौस होते ही ट्रेल बिक्की के पक्ष में आकर गिरा । बिक्की ट्रौस
में जित गया
और कन्नू को
पहले हाथ मिलाना
पड़ा । गाँव
के लड़कों ने
शोरगुल करना शुरू
कर दिया वे
लोग इस लिए
खुश थे कि
उन लोगों ने
दोनों दोस्तों को
फिर से मिला
दिया । हाथ
मिलाने के बाद
दोनों को को
गले भी मिलाया
गया । बिक्की
और कन्नू फिर
से एक हो
गये अब सभी
मित्रों के साथ
हंसी-हंसी फल-फूल चुराने निकल पड़े...। अब दोनों जहाँ जाते साथ साथ जाते हैं ।.....................|