Saturday, November 30, 2013

कुमाउनी गीत : ठिकुली ठेकी,

म्यर बाना मधुली मेरी ठेकी
ठिकुली ठेकी,
काँ हरे गेछे मेरे ठेकी
ठिकुली ठेकी,

वार चायो, पार चायो
नि देखि तेरी गौर-फनार मुखडी,
तिगणि चान चने म्यर कमरे पड़गे टस्की
ठिकुली ठेकी,
कपन अलाषी रछे मेरी ठेकी
ठिकुली ठेकी,

धात लगौन लगौने मेरो
गौवा यो चिरोडी गो
पट्ट लेसी गे मेरी अवाजा
ठिकुली ठेकी,
को कुण लुकी रछे मेरी ठेकी
ठिकुली ठेकी,

वल कुड़ी पल कुड़ी
धुरकिणे में रेंछे तू
एक जगां नि टिकनि तेरी ठौरा
ठिकुली ठेकी,
धूरका-धुरूक कहाँ हैरे मेरी ठेकी
ठिकुली ठेकी,

Thursday, November 21, 2013

मन की जनक्रांति

वह जानता हैं सबकुछ फिर भी खामोश हैं
जिस दिन उसने अपनी ख़ामोशी तोड़ी
उस दिन देश द्रोही, भ्रष्टाचारियों की खैर नही
इंतजार है बस, सही समय का
होगा उस दिन नया सवेरा
मुठी में होगा  वक्त का पहिया
उस दिन अंग-अंग में भडग उठेगी ज्वाला
चुन चुन कर हिसाब मागेगा
हर एक अत्याचार का बदला लेगा
वह जानता हैं ............

गेवाड़ घाटी