Monday, February 23, 2015

देखो मगर प्यार से

देखो मगर प्यार से 
माँ बेटे का प्यार देखो 
कांग्रेस का इमोशनल अत्याचार देखो 
देखो मगर प्यार से 
दिल्ली का भागा हुआ सी एम् देखो 
"आप"  की नौटंकी देखो
देखो मगर प्यार से
बुढ़ापे का इशक देखो
देग्विजय का रोमांस देखो
देखो मगर प्यार से
आजम खां की भैंस देखो
मुलायम का गुंडा राज देखो
देखो मगर प्यार से
घोटालों की सरकार देखो
बेईमानों का ईमान देखो
देखो मगर प्यार से

गांव की पुकार

पूछती हैं हमसे
गाँव की गलियां और चौबारे
प्यारे ! कुछ तो कहते जाओ
हमें निसहाय छोड़कर तुम चले गये
लौटकर फिर कब आओगे
यह तो बतलाते जाओ |

पूछती हैं हमसे
गाँव की गलियां और चौबारे
प्यारे ! शायद ही अब तुम्हे
याद होगा बचपन अपना
इन्हीं गांव की गलियों और चौबारों ने
तुम्हें घर का पता बतलाया था
खेलते कूदते इन्ही गलियों में
तुमने अपना बचपन बिताया था
क्या तुम्हे अपना बचपन याद नही आता ?

पूछती हैं हमसे
गाँव की गलियां और चौबारे
प्यारे ! मैं यादों के सहारे
दिन रात तुमरी रह तकती हूँ
लौटकर आओगे तुम
यही आश अबतक जगी है मुझे में
एक बार मुड़कर तो देखो
अपने गांव की मिट्टी, गलियों और चौबारों को
मुझे विश्वास है तुम लौटकर आओगे|

पूछती हैं हमसे
गाँव की गलियां और चौबारे
प्यारे ! तुम आओगे ना ?
तुम आओगे !

Monday, February 2, 2015

खेल नेता, चुनावी खेल

हरदौल वाणी अंक 52 दिनांक 2/2/2015 में प्रकाशित 

आओ नेता जी फिर खेलें चुनावी खेल
जनता को कुछ तुम बर्गलाओ, कुछ हम
नए दौर की नई राजनीति खेलें हम 
और जनता संग खेलें आँख मिचोली खेल |

मैं तुम पर आरोपों की लड़ी लगाऊं 
तुम मुझ पर लगाओ नए इजामत 
बैठकर आपस में हम समझौता कर लें
और जनता संग खेलें, हिंसा खेल | 

मामा-भांजा बनकर पासे फैकें हम 
नए दौर के नए वादों से, जनता संग खेलें
तुम जीत गये तुम्हारी जय, हम जीत गये हमारी जय 
और जनता संग खेलें चीरहरण का खेल | 
-भास्कर जोशी

गेवाड़ घाटी