वह जानता हैं सबकुछ फिर भी खामोश हैं
जिस दिन उसने अपनी ख़ामोशी तोड़ी
उस दिन देश द्रोही, भ्रष्टाचारियों की खैर नही
इंतजार है बस, सही समय का
होगा उस दिन नया सवेरा
मुठी में होगा वक्त का पहिया
उस दिन अंग-अंग में भडग उठेगी ज्वाला
चुन चुन कर हिसाब मागेगा
हर एक अत्याचार का बदला लेगा
वह जानता हैं ............
जिस दिन उसने अपनी ख़ामोशी तोड़ी
उस दिन देश द्रोही, भ्रष्टाचारियों की खैर नही
इंतजार है बस, सही समय का
होगा उस दिन नया सवेरा
मुठी में होगा वक्त का पहिया
उस दिन अंग-अंग में भडग उठेगी ज्वाला
चुन चुन कर हिसाब मागेगा
हर एक अत्याचार का बदला लेगा
वह जानता हैं ............
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