कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ आराधन का पर्व माना
जाता है कांवड़ यात्रा के माध्यम से लोग भगवान भोले-भले अवडर दानी शिव को प्रसन्न
करते हैं चारों ओर शिव भक्ति का माहौल तथा भोले के नाम की गूंज से शिवमय हो जाता
है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कांवड़ यात्रा ही कांवड़ियों का आतंकी रूप सामने आने
लगा है श्रावण मांस में भगवान भोलेनाथ की कांवड़ यात्रा के द्वारान विभिन्न धार्मिक
स्थोलों पर अपराधिक घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं दबंगई कांवड़ यात्रियों ने यात्रा का
स्वरुप ही बदल दिया है कुछ लोगों ने आस्था के इस पर्व को मौज मस्ती, शराब पीकर मन
माना करना, महिलाओं से छेड़ छाड़, गाली-गलौच, गुण्डागर्दी, गाड़ियों को फूंक देने तक
की घटनाएँ सामने आई हैं पहले महिलाऐं भी कांवड़ यात्रा में बराबर सरीक होती थी पर
कुछ वर्षों से घटित छेड़ छाड़ जैसी घटनाओं के चलते महिलाऐं अब न के बराबर ही जाती
हैं
एसा ही कुछ 24 जुलाई शुक्रवार
त्रियोदशी के दिन दिल्ली में इसका नमूना देखने को मिला| मैं शाम को दफ्तर से डी टी
सी बस से वापस घर की ओर लौट रहा था बस अड्डे मोरी गेट की पहुंचे ही थे कि हरिद्वार
से लौट रहे कांवडिये 20-30 लोग ट्रक में सवार हाथों में डंडा और मुह में सिटी
बजाते हुए निकल रहे थे बस ड्राइवर ने बस साइड लगा दी पर ट्रक में सवार कांवडियों
ने डंडों के प्रहार से डी टी सी बस का शीशा तोड़ डाला| डी टी सी बस ड्राइवर यहीं पर
गलती कर बैठा और उन कांवड़ियों से झगड़ पड़ा| देखते ही देखते ट्रक सवार 20-25 कांवड़िये
बस ड्राइवर पर बरस पड़े| लात-घुसे और डंडों से पीटने लगे| जिस बस
में मैं बैठा हुआ था उस बस के सरे पैसंजर डर के मरे भाग खड़े हुए| कुछ लोग तमासा
देख रहे थे पर बीच बचाव करने कोई नहीं गया| मैंने हिमत बांधी बीच बचाव करने मैं और
एक व्यक्ति बीच में कूद पड़े जो की एक जंग जैसा था| ड्राइवर को छुडाते वक्त उनके
लाठी का सिकार हम भी बने| छुडाते वक्त कांवड़ियों के मुह से शराब की बदबू आ रही
थी जब तक ड्राइवर को छुडाते तब तक दो
पुलिस कर्मी भी आ पहुंचे थे| बड़ी मुश्किल से ड्राइवर को उनके चंगुल से छुड़ाने के
बाद अपनी भी साँस में साँस भरी और ड्राइवर को भी समझाया| समय रहते जाम लगने से भी
बचे और ड्राइवर को भी बचा लिया| आस्था के नाम पर इस तरह की हरकतें शायद ही कोई
बर्दास्त करे| कांवड़ यात्रा में आने वाले कुछ लोग अपराधिक प्रवृति वाले लोगों की
हरकतों के चलते सारे कांवड़िये बदनाम होते हैं इन्हीं घटनाओं को देखते हुए शहरी
क्षेत्रों से आने वाले कांवड़ियों का रूट्स डायवर्ट कर दिया जाता है ताकि उपद्रव
करने वाले कांवड़ियों को शहर में आने से रोका जा सके|
कहीं न कहीं सरकार से
भी बड़ी चुक हो रही है ऐसे अपराधिक घटना घटने के बाद भी सरकार सचेत नही हुई है और न
ही कोई ठोस कदम उठाये गये | यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में निश्चित ही
कांवड़ियों का यह छुंड और भी बड़े घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं ऐसे अपराधिक प्रवृति
वाले लोगों को रोकने जरुरी हैं ताकि बढ़ी घटनाओं को अंजाम देने से पहले समय रहते
रोका लिया जाय और शांति का वातावरण बना रहे |
-भास्कर जोशी
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