Tuesday, October 13, 2015

सहारा

किसे अपना कहूँ
कौन सुने मेरी 
अकेलेपन की बेचैनी है
तब कलम उठा लिख लेता हूँ कविता |
हरदौल वाणी 12-10-2015 में प्रकाशित 
बिन बात के
हर गली, चौराहे, नुक्कड़ पर
आपनो की जंग छिड़ी है
कौन सुलह कराये
दुनियां तमासा देखती है
ह्रदय विषमित हो उठता है
तब कलम उठा लिख लेता हूँ कविता |
डर लगने लगा है भ्रमित आपनो से
कहीं उनके कर्मों का ठीकरा मेरे सर न लाद दें
गर आवाज उठाऊं तो सर कलम कर दें
चुप पड़ा रहता हूँ ठिठक कर कोने में कहीं
तब कलम उठा लिख लेता हूँ कविता |
सहारा किसका लूँ
कौन दूर तलक साथ निभाए मेरा
उठते अन्तःकरण में द्वन्द की पीड़ाकौन सुनेगा मेरी व्यथा
तब कलम उठा लिख लेता हूँ कविता |

कागज कलम से नाता जुड़ गया
उसी संग, हंसी ठिठोली, मस्ती करूँ
देश दुनियां की पहल करूँ
जब भी बात करने को मन करे मेरा
तब कलम उठा लिख लेता हूँ कविता |
-भास्कर जोशी "पागल"

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