Monday, May 6, 2013

बांज कुड़ी

बैठी छी दगडिया खोय में,
कुड़ी हाल देखण छी मैं,
द्वारुं में ताई लागी,
धेइ में पिपौ डाव जामी,
यो छू दाज्यू बांज कुड़ी हाल।

पाखक धुरी मेंजी,
आमक डाव जामी,
पाखक बंधार में,
बानरूं कतार लागी,
भ्यार भतेर नाच लगे राखी,
यस  छू दाज्यू बांज कुड़ी हाल।

के बखत रौनक छी कुड़ी में,
तब बानर नै आदिम रुन्छी यो कुड़ी में,
उखो बगल पर सजाई डाली में,
नान तिन किलकार हौन्छी यां,
आज सन्नाटा छाई रे यां,
यो छू दाज्यू बांज कुड़ी हाल ।

ताल गोठ एक कुण में चुल हौन्छी,
दोहर कुण में भैंस,गोर, बाकर हुन्छी,
धिनाई छल छलाने कोहोड़ी भरी रुन्छी,
दै, दूध, घ्यून बहार लागी रुन्छी,
आज गोर भैन्सुं किल पर ले ध्युड लगगो,
यो छू दाज्यू बांज कुड़ी हाल ।

जब चेली बेटियों ब्या-बरियात हौन्छी,
ईष्ट मित्रों बहार लागी रौन्छी,
पास पडोशी गौ-गाड मदद गार हौन्छी,
मिल झूली बे सबे काम करछी,
कतु भौल माहौल बनी रुन्छी,
आज कस निशार लागी छू यां,
यो छू दाज्यू बांज कुड़ी हाल ।

बार-बार बांज कुड़ी सवाल पुछणों,
कधीन आल उ दिन जब कुड़ी आबाद हौल,
आगन में नान-तिनाक किलकारी गुन्जेली,
गोरु,बाछा, भैंस, बाकर धिनाई बहार हैली,
कब यो बांज कुड़ी, आबाद घर हौली दाज्यू,
कब यो बांज कुड़ी, आबाद घर हौली दाज्यू।

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