Wednesday, May 8, 2013

अपनापन

जाने अंजाने में ही सही
याद कर लेना हमें
जब कभी भी
जरूरत पड़े तुम्हें
बिन संकोच के
आपना समझकर
कह देना तुम
यह भूल कर भी
मत सोचना कभी
अब भी आपके हैं हम
चाह कर भी कभी
निराश न करेंगे तुम्हें
हमारे दरवाजे
निश्छल-निष्कपट
हर वक्त खुले पाओगे तुम।
तुम अपने थे मेरे
और अपने ही रहोगे
गर गलती से भी गलती
हो गयी हो हम से
बैर मत रखना तुम
एक भूल की सजा
इस कदर न देना
जिससे टूट-बिखर जाऊँगा मैं
अपना छोटा या बड़ा
जानकर मुझको
क्षमा कर देना तुम
क्षमा कर देना तुम  -भास्कर जोशी

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