जाग उठी है
राजनीतिक लोक तंत्र माफिया |
भ्रष्टचारियों की
हो रही जय जयकार यहाँ|
ढकोशले लोकतंत्र में बैठे नेता
एक से बढ़कर एक लुटेरा सरदार यहाँ|
खामोश खाड़ी
जनता के आँखों में|
सरे आम धुल झोक रहे
बेईमान यहाँ|
हे !
"भारत" के "नव युवा"
जागो निद्रा से|
बज रही देश में
खतरे की घंटी |
चेतना लाओ उदर में
करो बुलंद आवाज |
बेईमान-भ्रष्टाचारियों को करें बेनकाब चेतना लाओ उदर में
करो बुलंद आवाज |
रचो देश का स्वर्णिम इतिहास |
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