मडराता संकट मेरे पहाड़ पर ,
साये के तरह पड़ा मेरे पहाड़ पर
निराश होकर वीरान सा खड़ा ,
विपदाओं में अपनों ने छोड़ा ,
प्रकृति ने नदी-नालों को सुखा किया ,
खेत-खलियानों को बंजर किया,
जल स्रोतों ने भी साँस तोडा,
बूंद-बूंद के लिए तरसा रहा,
जंगल आग से लिपटा रहा ,
चौतरफा मार से झेल रहा,
संकटों में घिर रहा है पहाड़,
आओ मिलकर एक संकल्प लें,
पहाड़ को संकट से उबारेन का,
हरी-भरी खुशहाली लाने का,
पहाड़ को फिर से जगाने का
वही पहले जैसा स्वर्ग बनाने का ।
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