Monday, September 3, 2012

संकट से घिरा पहाड़


मडराता संकट मेरे पहाड़ पर ,
साये के तरह पड़ा मेरे पहाड़ पर

निराश  होकर  वीरान सा खड़ा ,
विपदाओं में  अपनों ने छोड़ा ,

प्रकृति ने  नदी-नालों को  सुखा किया ,
खेत-खलियानों को बंजर किया,

जल स्रोतों ने भी  साँस तोडा,
बूंद-बूंद के लिए तरसा  रहा,

जंगल आग से लिपटा रहा ,
चौतरफा मार से झेल  रहा,

संकटों में घिर रहा है पहाड़,
आओ मिलकर एक संकल्प लें,

पहाड़ को संकट से उबारेन का,
हरी-भरी खुशहाली लाने का,

पहाड़ को फिर से जगाने का
वही पहले जैसा स्वर्ग बनाने का ।

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