Monday, December 10, 2012



याद औण लागी रे, म्यर पहाड़ की ।
दिन दुगुण रात चौगुण, लागनी मिगें जी ।।
कसी काटू दिनों की, यूँ मेहण लागनी।
मेहणा-मेहण मिगें,  साल लागनी ।।
याद औण लगी रे.................
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by पं. भास्कर जोशी


कल में अपने एक दोस्त से मिला
किस से मिला पूछना मत
वह मुझे किसी के यहाँ ले गया
किसके यहाँ ले गया गया पूछना मत
वहां दो चार लोग और मिल गये
कौन-कौन मिले पूछना मत
बात ऐसे हुई हँसते हँसते लोटपोट हो गये
क्यूँ हँसते रहे पूछना मत
उस लड़के को सुन सुन कर
मेरा भी दिमाग भनभनाया
मैंने दो दमुगरे रख दिए
मैंने कहा मैंने दमुगर क्यूँ दिए अब पूछना मत
---------  by भास्कर जोशी

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