जाग
हे !
मानव
उठ निद्रा से
कर उदार में
सूरज सा
किरण
ला सवेरा
हिन्द में ।
काल रात्रिनी
निशाचरि
महंगाई
भ्रष्टाचारी
रूप लेकर
है डसने आई ।
हे !
मानव
उठ निद्रा से
कर उदार में
सूरज सा
किरण
ला सवेरा
हिन्द में ।
काल रात्रिनी
निशाचरि
महंगाई
भ्रष्टाचारी
रूप लेकर
है डसने आई ।
No comments:
Post a Comment