Monday, January 11, 2016

समृति

ये पागल पहाड़ी  के साथ भी ना , न जाने कैसी कैसी घटनाएं घटती हैं । अब उस दिन की ही बात लेलो। ये लमतम होकर लेटा ठहरा। तभी फ़ोन की घंटी बजी....अरे पागल तेरा फोन आया...अरे पागल तेरा फोन आया....जबकि  इसीने अपने फोन में, अपनी आवाज की ऑडियो बनाकर रिकॉड की थी,  उसे ही रिंगटोन बना डाली।...फोन उठाया.....हेल्लो ! जी पागल बोल रहा हूँ उधर से आवाज आई नमस्कार पागल जी...में शेल्स प्रोडक्ट मेनेजर ढिमकणा  बोल रहा हूँ। ..जी कहिये आपने कैसे याद किया?
शेल्स मेनेजर-  पागल जी मैं आपसे मिलकर कुछ बात करना चाहता हूँ । एक काम को अंजाम देना चाहता हूँ जिसमें आपकी मदद चाहिए
पागल- जी कहिये में आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
मेनेजर- जी अभी में दिल्ली बाहर हूँ दिल्ली आते ही फोन करता हूँ
पागल- जी बिलकुल सेवा के लिए तत्पर हैं ।
शेल्श मेनेजर की उम्र कोई  45-46  की रही होगी
दो चार दिन बाद फिर वही नंबर से फ़ोन की घंटी बजी..पागल तेरा फोन आया..पागल तेरा फोन आया।
हेल्लो! जी पागल बोल रहा हूँ
मेनेजर-जी पागल जी मैं ढिमकणा मेनेजर बोल रहा हूँ । पहले भी आपसे बात हुई थी।
पागल- जी जी मेनेजर साहब कहिये।
मेनेजर - पागल जी मैं आपसे मिलना चाहता हूँ बताइये कैसे मिल सकते हैं
पागल- जी आप बताईये आप उमर से बड़े हैं कहाँ और कैसे मिल सकते हैं।
मेनेजर- जी फिर तो हम रविवार को अपने ही ऑफिस में बैठकर बात कर सकते हैं ।
पागल- जी बिलकुल मैं आता हूँ ।
रविवार का दिन था। और यह पागल चल पड़ा मेनेजर से मिलने के लिए। और यही सोच रहा था कि अपनों के लिए यह व्यक्ति कितना संवेदनशील है|
मेनेजर ऑफिस के बाहर से पागल ने फोन किया । उधर से आवाज आई ......जी पागल जी आप कहाँ पहुंचे
पागल-जी आपके ऑफिस के सामने खड़ा हूँ ।
मेनेजर- जी वहीँ पर ठहरिये मैं आ रहा हूँ आपको लेने ।
पागल वहीँ सामने मेनेजर का इंतजार कर रहा था। ऑफिस का दरवाजा खुला और मेनेजर बाहर निकल कर आये। बोले आप ही पागल जी हैं ?
पागल- जी मैं ही पागल हूँ
मेनेजर- जी आइये अंदर चलकर बात करते हैं
दोनों अंदर गए । मेनेजर और पागल  आमने सामने होकर सोफे पर बैठ गए।
पागल - जी कहिये आपने किस  काम के लिए बुलाया?
मेनेजर- पागल जी आप तो पहाड़ की स्थिति से परिचित हैं वहां न ही रोजगार न ही कोई अन्य  साधन।
पागल- इसमें नयां क्या है? यह तो पहले से ही है अगर रोजगार के साधन होते तो लोग अपने गांव से पलायन क्यों करते। अच्छा सीधे-सीधे बताइये आप गांव के लिए  क्या चाहते हैं
मेनेजर- मैं चाहता हूँ गांव के लोगों को रोजगार मिल सके|
पागल-वो कैसे?
मेनेजर- देखिये ये हमारा प्रोडक्ट है इसमें घर के सामान से लेकर व्यक्तिगत प्रोडक्ट भी हमारे पास है।
पागल- अच्छा जी। इसमें आपके पास क्या क्या सामान है।
मेनेजर- दाल पानी तेल से लेकर क्रीम पाउडर व बहुत कुछ।
क्रीम पाउडर से इस पागल को पहले से ही चिड होती है क्योंकि जो उस ऊपर वाले ने दिया है लोग उसपर संतुष्ट न होकर क्या क्या कीचड़ पट्टी चहरे पर लिपा पोती  कर अपने को स्मार्टनस समझ बैठते हैं
पागल-तो आप पहाड़ में लिपा पोती का  सामान सप्लाय करना चाहते हैं ।
मेनेजर- जी हाँ! क्या गाँव के लोगों को ये अधिकार नही कि वे सज सवंरकर कर रहें |
पागल- जी बिलकुल है लेकिन आपके इस लिपा पोती के सामान लगाने के लिए उनके पास समय ही कहाँ जितना भी समय मिलता है उस समय में भी वह घर का चूल्हा चौका का काम कर लेती है बाकि जो बचे घास काटने निकला जाते हैं उन लोगों को तो खाने की फुर्सत तक नही होती और आप इस सामान को वहां बेचना चाहते हैं
मेनेजर- एसी बात नही है इसके कई फायदे भी हैं एक तो आपको रोजगार मिलता है दूसरा घर के सामान अच्छे कीमत पर मिलता है
पागल- अगर ऐसा ही है तो आप किसी दुकानदार या गोदाम वाले को पकड़िये ना।
(एक घंटे से ऊपर हो चूका था लेकिन अभी तक मेनेजर ने चाय पानी के लिए नही पूछा। पागल थोडा खीज सा गया था। मन ही मन यही सोच रहा था मेनेजर होकर भी चाय न भी सही कम से काम पानी तो पिला देता इतनी दूर से आया हूँ)
मेनेजर- जी नहीं यह प्रोडक्ट हम  अपने शेल्स् मेम्बरों द्वारा ही बेचते हैं
पागल-वो कैसे ?
मेनेजर- जी पहले हम नयां मेंबर बनाते हैं पंद्रह सौ रूपये दो और हमारा मैम्बर बनिए इसके बदले में आपको लत्ता कपडा और डिस्काउंट के साथ सामान मिलेगा।
(यह सुनकर पागल भनभना सा गया। वह समझ गया कि यह मार्केटिंग का चक्कर है।और यह दिमाग की दही कर रहा है )
पागल-सीधे सीधे कहिये आप मुझ से क्या चाहते हैं
मेनेजर- हम आपसे ये चाहते हैं कि आप भी 1500 रूपये जमा कर हमारे मेंबर बनिए। जो सामान मिलता है वह तो आपको मिलेगा ही । साथ ही हम आपको पहाड़ का शेल्स् प्रोडक्ट मेनेजर बना देंगे। आप दिल्ली में इतने जगह मीटिंग वगैरह में जाते रहते हैं एक या दो भी हर मीटिंग से लोगों को जोड़ेंगे तो आपको भी फायदा होगा
पागल- वो कैसे और मुझे क्या करना होगा।
मेनेजर-अगर आपको पहाड़ जाकर ऐसे ही चैन की तरह जोड़ते है तो उतना प्रॉफिट|  जितना जोड़ेंगे उतना ही आपको प्रॉफिट होगा
पागल-वो कैसे?
मेनेजर- आप जितना जोड़ेंगे उतने ही आपको चैक मिलेंगे और हर चैक का अमाउंट पञ्च हजार होता है। बाकि का काम आपके पीछे जो जुडेंगे वे अपने आगे जोड़ते जायेंगे। सामान की जितनी बिक्री होगी उसका अलग से चैक मिलेगा।
(जो पागल प्रकृति पर निर्भर रहने की सलाह दूसरों को देता हो वह कैमिकल से भरी चीजों का समर्थन कैसे कर सकता था | अब क्या था  जी  एक तो पहले से ही यह पागल| ऊपर से  इन प्रोडक्ट को सुनने के बाद बहुत चिढ़ गया । दूसरा यह कि वह अपना कई काम छोड़कर उसके पास  उम्मीद से आया था। जो सब चूर चूर हो गया जो समझा था ठीक उसके उलट हुवा। पागल अब सठियाने लगा था)
पागल-अबे अरे मेनेजर। मुझे यहाँ बुलाने से पहले एक बार मेरे बारे में ठीक से जान तो लेता। जान लिया होता तो अपनी बेज्जती करवाने के लिए न बुलाता। तुझे पता है कि में पागल हूँ। फिर भी तूने मुझे बुलाया कम्बखत कहीं के तेरे गुड़ गोबर कच्यार जैसे प्रोडक्ट को बेचने के लिए मैं ही मिला था क्या?
मेनेजर- पागल जी आप तो खामखा में गुस्सा हो रहे हैं।
पागल- किस्मत अच्छी थी तुम्हारी कि आज मैं अपना डांसी ढुंग नही लाया वरना ......। अगर मुझे तुम कभी अपने गांव की तरफ या आसपास भी दिखाई भी दिए तो .......या तो तुम रहोगे या फिर मैं।
(मेनेजर का सारा स्टाफ घेरा बांध कर सब देख रहे थे। सब चुप किसी की हिमत न हुई आगे आने की| मेनेजर का चेहरा लटक सा गया। यह पागल  खड़ी खड़ी सुनाकर वहां से लौट आया।

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