Monday, January 4, 2016

कस देख्यंछै

कस देख्यंछै
धें तू कस देख्यंछै
आँखों में झप-झपाइ रौंछे
म्यर ठेकुली मेरी ठेकी 
हरदौल वाणी 4 जनवरी 2016
धें तू कस देख्यंछै

स्वेणु में रंग बिरंगी देख्यंछै
नखकी नथणी भौल देख्यंछै
गौ, गलोबंद पैरी थाई रौंछे 
रंगाई पिछौड़ ओढ़ी छाजी रौंछे 
म्यर ठेकुली मेरी ठेकी 
धें तू कस देख्यंछै

सौ सृंगार तेरो चमकन देख्यंछे 
गोलमटोल मुखड़की फनार देख्यंछे 
फर-फरान घागरि झपकन देख्यंछे 
छम छमान हिटणो तेरो बान देख्यंछै
म्यर ठेकुली मेरी ठेकी 
धें तू कस देख्यंछै

बारो मास त्यर स्वेण देख्यनु
पछिल त्यर धुरकण देख्यनु 
दिन धोपरि त्यर अनार देख्यनु 
कब आली तू, त्यर इन्तजार करणु
म्यर ठेकुली मेरी ठेकी
धें तू कस देख्यंछै

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