Friday, August 19, 2016

शिक्षा पर चर्चा

भारत की शिक्षा  व्यवस्था हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा हैं .
शिक्षा को लेकर एक पुराना किस्सा याद  आता है ..दिल्ली में आये हुए एकआद साल ही हुवे थे  मित्रों से मिलाना  उत्तराखंड व  अन्य बैठकों में भाग लेने । बड़ा ही  आतुर रहता..इसी बीच मंच पर बोलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ | तब मंच से मैंने राजनीति और शिक्षा के लचर व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये थे | उस बैठक में एक महानुभाव और बैठे हुए थे जिन्होंने शिक्षा को लेकर बड़ी बैठक ओर्गनाइज की थी उन्होंने उस बैठक में आने का न्योता दिया .. बैठकों में भाग लेने के लिए आतुर रहता ही था सो वहां चला गया| वहां सब बड़े बड़े लोग नए चहेरे सूट बूट धारी लोग मैं बड़ा अचंभित था क्योंकि कभी एसी बैठक में गया नही न ही कोई अपने बिरादरी के लोग थे सब अलग अलग राज्य से थे कोई डॉ तो कोई प्रोफ़ेसर तो कोई .........न जाने  क्या क्या। अलग अलग संस्था समूह के लोग बैठक में आये हुए थे .. और अपनी उमर का में एक ही था मेरे आसपास के उमर का कोई नहीं । कुरता पजामे में मैं चुप चाप जाकर पीछे एक कोने पर कुर्सी पकड़ कर बैठ गया .. कुछ देर बाद हौल की सारी कुर्सी भरने लगी । मेरे बगल  वाली कुर्सी पर के सूट बूट नामी टाई धारी व्यक्ति आकार बैठ गये। कुछ देर बाद परिचय हुआ | कहाँ से हो , क्या करते हो? सवाल जवाब का संवाद चलने लगा। शिक्षा के बारे में पूछा कहाँ से की कितनी की | मैंने कहा साहब- मैंने प्राइमरी पाठशाला स्कुल से शुरू किया जिसे आप मुंशीपाल्टी स्कुल कहते हैं और ग्रेजुएशन कर आगे की पढाई जारी है| कुछ देर के बाद एक अजीब सा सवाल कर बैठे- मुंशीपाल्टी स्कूलों के बच्चे अपना विकाश नही कर पाते, जबकि मोडर्न स्कुल के बच्चे काफी आगे निकल जाते हैं | मैंने कहा साहब हम मुंशीपाल्टी के लोग अंगूठे से पैन तक पहुँच गये और मोडर्न स्कुल के आप  लोग पैन से शुरू हुए थे वहीँ पैन  पर अटके  हुए हो .. आप तो आगे बढे ही नही .हम लोग जमीनी लोग हैं उठ कर कभी गिर भी गये तो सभलने में देर नही लगती लेकिन जब आप उठे हुए लोग गिरते हैं तो सभाल नही पाते  हैं| . तो बताओ विकाश किसका हुआ ... ? हम लोगों ने वह असली जी है और आप रहे वह बनावटी दुनियां में । आज भी मंच द्वारा बनवटी ही बात हो रही है। जो सायद ही कभी इसका लाभ ले सकें। पर हाँ हमारे वे मुंशीपाल्टी से निकले हुए लोग ही बड़े औधों पर काम कर रहे बड़ी इमानदारी से ।
खैर सर छोड़िये, आप उस बात को सायद ही समझ पाओगे क्योंकि वह व्यक्ति ही जानता है जो वहां से उठकर निकला हो।
यूँ ही मन किया आप लोगों के साथ शेअर कर दिया ..भास्कर जोशी

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