Friday, August 19, 2016

आजादी का जश्न दूसरी तरफ मौत का जाल

एक तरफ आजादी का जश्न था  , दूसरी तरफ मौत का जाल बिछाया जा रहा था।
जी हां सच है। कल आप सभी आजदी के जश्न से झूम रहे थे मौज मस्ती कर रहे थे। पतंक बाजी हो रही थी। आपके पतंक बाजी से किसी की जान जा सकती है । जी हां जब आप पतंक बाजी कर रहे थे तब आपने यह नहीं सोचा होगा कि आपके पतंक उड़ने से किसी की जान भी सकती है। आपके पतंक कटने के साथ जो मांजा (धागा) आप लगाते हैं वह इतना जालिम होता है क़ि किसी का भी गला काट सकता है। जबकि सरकार द्वारा उस धागे पर बैन लगा दिया गया था । लेकिन आज भी वह बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है। वह चाइनीज माजा धागा इतना सख्त है कि टूटता नहीं।
आज चारों तरफ आपके कटे पतँकों के साथ साथ वह धागा जगह जगह बिखरा हुवा है रोड, गलियों मे बड़ी सावधानी से चलना पढ़ रहा है। आपके पतँकों द्वारा बिछे उस जाल में पता नहीं कब पांव में फंस जाए और मुहं के बल गिरकर, अपने हाथ पांव तुड़वा बैठें।
यदि कहीं रोड में इस पार से होते हुए उस पार तक आपकी कटी हुई पतंक मांजा सही चली जाए , तभी को बाइक सवार गुजरे तो यह पक्का है क़ि उस बाइक सवार व्यक्ति क्षतिग्रस्त होगा।
कल से मैं कई बार गिरते गिरते बचा हूँ । एक तो वह धागा साफ साफ दिखाई भी नहीं देता साथ ही आज सुबह गली के केबल तार से लटका हुआ मांजा दयनीय स्थिति में लटका हुआ था। यह सोचकर उसे हटाने का प्रयत्न किया कि किसी के साथ अनहोनी न घटे। जैसे ही उसे हाथ में लिया उसे तोड़ने की कोशिश की तो उसने मेरी हथेली पर चीरा लगा डाला।
इस बात से आप अंदेशा लगा सकते है कि यह मांजा कितना खतरनाक है। आप तो अपने मजे के लिए स्तेमाल कर रहे हो पर यह आपका मजा किसी पर भारी पड़ सकता है। किसी की जान जा सकती है। अपने बच्चों को भी इस बात से परिचय कराएं। -भास्कर

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