Tuesday, January 10, 2017

काला धन

पैसा को लपक सको तो लपक लो , क्योंकि आजकल नदी नालों में लक्ष्मी बह रही है।  छप्पर फाड़ के तो नहीं पर हाँ नहर, नदी फाड़ के पैसे जरूर बहे हैं। आये दिन ऐसी खबरें सुनने व् अख़बारों में  पढ़ने को मिल ही जाती  हैं। जिन लोगों ने काले धन के रूप में अपनी तिजोरियां भरी थीं अब वे अपनी तिजोरियों को पानी में बहा रहे हैं। मोदी जी द्वारा नोटबंदी का यह मुहीम इस नजर से देखें तो बहुत ख़ुशी होती है कि जो लोग काले धन पर कुंडली मरे बैठे हुए थे अब उनका काला धन इस रूप में भी बहार निकल कर आ रहा है।

अब जरा शहर से दूर गांवों का रुख करते हैं। पैसा आज के समय में जरूरत का साधन है सुईं से लेकर संबल तक। या यों कहें हर जरुरत का साधन रुपया है। बस जरुरत है एक बार गांव और शहर के बीच का अंतर समझने की ! क्योंकि ग्रामीण इलाकों में शहर जैसी सुविधाएं नहीं हैं विशेतः बैंकिग सुविधा।

नोटबंदी को शुरू किये 1 माह बीत चुका है, उसके बाद भी शहरों के लोग सुबह सुबह बैंक के आगे लाइन पर खड़े नजर आते हैं यदि कहीं पर खबर मिलती है कि फलाने ATM में पैसे हैं तो बड़ी लंबी कतार देखने को मिलती है। वह भी पलभर में, और तो और वह पैसा भी मुश्किल से उस लाइन में लगे आधे लोग के नशीब ही हाथ आता है। बाकी के लोग फिर कोई और ATM की तलाश में जुट जाते हैं। कहने का सीधा सा मतलब है एक माह बीत जाने के बाद भी लोगों की परेशानी अभी तक हल नहीं हुई हैं और यह सब उन शहरों में हो रहा है जो महानगरों के नाम से ख्याति प्रपात हैं। जहाँ हर चीज की सुविधा है फिर भी लोग सुविधा से वंचित हैं।

आइये अब जरा रुख करें गांव की ओर। गांव में रहने वाले लोग बैंक की सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। अगर उन्हें अपनी जमा पूंजी कहीं जमा करनी भी होती है तो वे पोस्ट ऑफिस में जमा करते हैं वह भी 10 या 15 मिल की दुरी पर होते हैं । बैंक  उनकी पहुँच से बहुत दूर हैं यदि उन्हें अपनी वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं भी लेनी होती हैं तब वे 6 महीने या साल भर बाद इक्कट्ठे ही निकालने जाते हैं और इस बीच उनका पूरा 2 या 3 दिन का समय लगता है।

इधर  ग्रामीण इलाकों के बैंकों  में अभी भी कैश उपलब्ध नहीं हो सका है थोड़ा बहुत जो उन बैंकों के पास था वह उनके अपने अधिकारियों के लिए भी पूरा नहीं हुवा। अब ऐसे में उन दूर सदूर ग्रामीणों की परेशानी भला कौन समझे?

आज भले ही भारत को युवा देश के रूप में दुनियां देख रहा हो पर आज भी भारत इतना सक्षम नहीं है कि हर व्यक्ति मोबाइल बैंकिंग का प्रयोग कर सके। अमूमन बीस करोड़ की आबादी आज भी बैंकों की सुविधाओं  से दूर है मोबाईल जैसी सुविधाओं का लाभ लेने में भी सक्षम नहीं हाँ। यह आंकड़ा अंदाजन है अगर सर्वे किया जाय तो यह आंकड़ा निश्चित ही बढ़ेगा। किंतु प्रधानमंत्री जी हमेशा गांव, गरीब और किसान की बात करते हैं। जब शहर में रहने वाले लोग परेशानी मेंहों, भले ही जनता इतनी दिक्कतों को झेलने के बाद भी  देश बदल रहा है को ध्यान में रखकर अपने को सांत्वना दे रहे हों, परंतु एक बार ग्रामीण बस्तियों का रुख जरूर करके देखें। उनके लिए किसी भी प्रकार से कोई सुख सुविधा नहीं। ऐसे में नोटबंदी का असर कितना पड़ा है यह आप और हम अन्दाज नहीं लगा सकते हैं।

 प्रधानमंत्री जी द्वारा लिया गया यह फैसला कारगर होगा , ऐसा मेरा मानना है साथ ही ऐसे फैसले देश हित में ही लिए जाते हैं जो स्वागत योग्य है। लेकिन उन गरीब ग्रमीणों की आवाज कब सुनी जायेगा या कब उन्हें रियायत मिलेगी, इसका उन दूर सदुर ग्रामीणों को प्रधानमंत्री मोदी जी का इन्तजार रहेगा।
भास्कर जोशी
9013843459

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