Wednesday, February 22, 2017

राकस मेरे पहाड़ के

साहब तुमने हमारे नदी के
रिवाड़ि खसोड डाले
नदी से बजरी बेच डाली
गद्यारों के ढूंग उचेड डाले
और ये कहते हैं
हमने पहाड़ का विकास किया
साहब ये कौन सा विकास है ?-2
पहाड़ में छुरी मूसों के सुरंग बना डाले
गाड़ गद्यरों को बंधक बना डाला
ख़डिया के नाम पर
उपजाऊ स्यार उधेड़ डाले
 जिस मिट्टी को तुमने
तिलक की तरह माथे पर सजाना था
तुमने उसी मिट्टी को धन्धा बना डाला साहब -2
और तुम कहते हो
हमने पहाड़ का विकास किया?
ये कैसा विकास है साहब -2
अरे तुमसे अच्छे तो
हमारे पहाड़ के भूत भले हैं साहब
जो जागर, बैसी के बभूत से मान जाते हैं
साहब ! तुम तो वो राकसी मशाण हो
जो अपना तो चैन सुख से मरे नहीं
किंतु दूसरों की सुखियों में
अमावस बन जाते है साहब -2
साहब आप पहाड़ के लिए
वही राकसीमशाण हो
तुम ही हो !
जिसने पहाड़ का भूत भविष्य वर्तमान
अधर में लटका रखा है साहब -2
तुम वही राकसी मशाण हो साहब
वही राकसी मशाण हो !
भास्कर जोशी
9013843459

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