Thursday, August 31, 2017

घंतर-14 प्रेस वार्ता विथ भीकूदा



बल भीकूदा देश में यह हो क्या रहा है?

आप तो मीडिया हैं क्या आपको पता नहीं कि देश में क्या हो रहा है। हां पता होगा भी कैसे चीन मीडिया की तरह आप लोग भी सरकार की बोली बोलते हैं तब ऐसे में  आपको  देश की परेशानी कहाँ दिखाई पड़ती हैं। मीडिया तो आजकल सरकारों की कठपुतलियां बनकर रह गयी है।

नहीं भीकूदा ऐसा नहीं है अब राम रहीम को ही देख लीजिए , मीडिया पूरा कवर कर रही है।

जी हां दुनियां देख रही है मीडिया किसे कवर करती है किसे नहीं। यदि मीडिया चाहती कि वह स्वतंत्र होकर देश की तमाम मुद्दों को सामने लाकर सरकार के सामने रखती और सरकार के मंत्रियों से पूछती कि आप जनता के समस्याओं का निदान क्यों नही करते ? क्यों जंतर मंतर पर खड़े होकर लोग मागें माँग रहे हैं। उनकी मांगे पूरी क्यों नहीं करते ? पर मीडिया का ध्यान उधर कहाँ हैं वहां से TRP भी तो नहीं मिलती। रही बात राम रहीम की । उसे तो आप कवर करोगे ही क्योंकि उससे आपको TRP तो मिलनी है साथ ही सरकार में बैठे मंत्रियों तक आपकी रिपोर्ट पहुंच सके और वे अपनी बयान बाजी कर सकें। उसके बाद आप उन बयान बाजी पर बेतुकी डिबेट कर हम लोगों का मत्था चटोगे। क्या यही काम रह गया मीडिया का ?

भीकूदा मीडिया तो हमेशा ही देश दुनिया के मुद्दों को उठती रही है। चाहे वे घोटाले हो दंगे हो, भ्रष्टाचार हो , सामाजिक मुद्दे हो सभी तो उठती रही है, मीडिया ही तो है जो दुनियां के सामने कच्चाचिट्ठा खोल कर रखती है ।

जी इस बात से इनकार नहीं करता कि मीडिया ऐसे मुद्दों को सामने नहीं लाइ। जरूर लाई। परन्तु मौजूदा हालात पर गौर करें तो अभी मीडिया सरकार के अधीन है सरकार जैसा चाह रही है वैसा ही शो कर रही है। अब  उत्तराखंड के पंचेश्वर बांध को ही ले लें । इस मुद्दे को मीडिया ने कौन सा स्थान दिया। वहां के लोगों को न ही विस्थापन के लिए कोई भूमि आवंटित की न ही किसी प्रकार का मुआबजा देने को सरकार सरकार राजी है। सबसे बड़ी बात की सरकार पर्यावरण को लेकर सरकार बड़ी बड़ी बातें करती है ऐसे में उत्तराखंड नदी नालों में बांध बनाने से सरकार क्या बतलाना चाहती है। क्या मीडिया ने समस्याएं सरकार के सामने रखी ? क्या उन हुक्मरानों से पूछा कि आप पहाड़ की जनता के साथ ऐसा दूर व्यवहार क्यो कर रहे हो ? नहीं पूछा ना । भला क्यों पूछोगे। उसी सरकार की बदौलत ही तो तुम्हारा न्यूज चैनल् और प्रिंटिंग प्रेस चल रहे हैं। ऐसे में मीडिया कहाँ हैं ?

भीकूदा के घंतर चालू आहे ।

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