Thursday, August 31, 2017

म्यर पहाड़ बानर

म्यर पहाड़ क बानर
य कुड़ी पल कुड़ी
धुरका धुरुक न्यार
न डर, बिल्गहूं न्यार उणी

सार खेत पाती बांज है गयीं
बुतुण हालो चै चितै टिप जाणी
लगुल बुतो टुक चट कर जाणी
कि हूं कुंछा दाज्यू पहाड़ में
झिट घड़ी सफा चट कर जाणी

अनाज भ्यार सुकौहूं हालो
बौज्यू जै माल सपोड जाणी
घर भतेर राशन समाय बेरि धरो
च्वांक ऐ बेर ध्वांर में बैठ सपोड जाणी

रई सई उँ ठुल बानर नि खाण दिणाय
जो ऊनि दल बांग लिबेर घर घर जानी
मि तुमर मि तुमर कै, भीख मांग जानी
पाई पाई बचि खुची, मौ लगै जानी।

सवेंण दिखुण में उनन पी एच डी कराखि
झुट बलाण महारत हासिल कर राखि
म्यर पहाड़ मैस हराइ जस टोप मार राखि
उनर मनखी को जाणो, बात दुःखकि
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