Monday, August 6, 2012

संकट मेरे पहाड़ पर

टूट पड़ा है संकट 
मेरे पहाड़ पर 
न हसने को जी चाहता है 
न खाने को 
सुनी खबर पहाड़ की 
हडबडाहट सी मच गई 
इसे में क्या समझूँ ?
प्रकृति का मार कहूँ 
या हमारी किस्मत 
किसको दोषी समझूँ ?
देव भूमि देवों की 
कहते हैं उत्तराखण्ड
कहाँ गये वे देव ?
जिन्हें पूजा करते 
माष त्यौहारों में 
न दिखा उन्हें 
अपने रोते बिलखते बच्चों को 
कहाँ छुप गये तुम 
सामने क्यूँ नही आते 
क्यूँ कहर ढाते हो 
मेरे पहाड़ पर 
क्यूँ हसी खुसी दुनियां में 
विराम लगा दिया तुमने ।
स्वरचित -पं. भास्कर जोशी

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