कहाँ जा रहा है
भारत देश हमारा?
कहाँ लुप्त हो रही
संस्कृति हमारी ?
कहाँ छोड़ आये हम
अपनी धार्मिकता ?
आज दिन प्रतिदिन
हाय मची है चारों ओर
देश में हीनता-दुर्बलता
घटने का नाम न लेती
चौतरफा हडकंप मची है
हर नारी आज द्रौपती बनी है
न जाने क्या होगा इस नारी का ?
जिस भारत वर्ष में
होती थी नारी की पूजा
अब वही भारत देश बना
उसी नारी का लुटेरा
हर नगर चौराहे पर बैठा दुसाशन
ताक रहा असहाय नारी को
राज गद्दी पर बैठा धृष्टराज
बढ़ा रहा है अत्याचारी-दुराचारी को
आज न कृष्ण यहाँ न राम यहाँ
न सूर्यवंशी न चन्द्र वंशी
क्या कोई भी छत्रिय
इस धरातल पर जीवित न रहा ?
लज्जा शर्म से खड़ा
यह भारत देश हमारा
वह भारत देश न रहा
जहाँ होती थी नारी की पूजा
दीखते थे संस्कार वहां
मिलता था सम्मान वहां
वहीँ बसते थे राम रहीम कृष्ण सदा ।
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