Wednesday, April 27, 2016

घन्तर-10 : बुबु पोथा संवाद -1

घन्तर-10
 बुबु पोथा संवाद -1

और पोथा के हूणि हाल समाचार

बस बुबु सब ठीक है लेकिन अपने प्रदेश के हालात ठीक नहीं हैं। लोगों को बड़ी बड़ी उम्मीदें थी कि  हरदा आएँ हैं तो कुछ अच्छा करेंगे। लेकिन काम बनने के बजाय यहाँ तो हालात ख़राब हो गये बल्कि बिगड़ ही गये। रोज़ रोना धोना हो रहा है मंत्रियों का। कि तू भसोरने में लगा है और हमें कढ़ाई चाटने भी नहीं मिली। रोज़ इसी बात का तमाशा बन रहा है। वैसे बाक़ी सब ठीक है।

लेकिन पोथा यस की हौ

बुबु होने के लिए तो कुछ ख़ास नहीं हुवा। लेकिन पिछले 16-17 सालों से जो हो रहा था बस उसी को दोहराया है नयाँ कुछ भी नहीं हुवा, कुर्सी वही, वही साल दो साल और कुछ नहीं उसी का रोना धोना है। वह तो क़िस्मत अच्छी थी कि एन डी बुबु जैसे तैसे पाँच साल लपेट गए। वरना उस साल एक दो मुख्यमंत्री और बनते। इधर मुख्यमंत्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो जाती। वैसे बाक़ी सब ठीक है ।

पै पोथा पाँच सालक लिजी कगणि ज्यौड़ से नर्का क्यों नहीं देते

बुबु कोशिश तो बहुत की थी पर शक्तिमान बीच में आ पड़ा। शक्तिमान ने अपनो सारी शक्ति लगा डाली तो ज्यौड़ एटोमैटिक ही खुल गया। शक्ति को फ़ुजुल ख़र्च कर शक्तिमान शक्तिहीन होकर चल बसा। उस से पहले वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर प्रकृतिक आपदा आ पड़ी जिस से बीजू दा की कुर्सी बह पड़ी। उस कुर्सी के साथ बीजू दा का सूट केश भी बह गया। कोशिश बहुत की थी उसने सूट केश को ढूँढने की पर सब पानी फेर गया। अब तो एक ही प्रश्न सताता है कि ये कुर्सी और उसका धरातल ही क्यों बच जाता है। वैसे बाक़ी सब ठीक है।

ना पोथा ना यस नी क़ौण चैन। जस लै हाय हमर  नेता हाय त ।

बुबु ठीक कहा आपने नेताओं के विरुद्ध तो आजकल जाना ही नहीं हुवा। बड़ी हिम्मत जुटाकर कुछ कहो तो धमकी भरे फ़ोन आने लगते हैं अगर उतने ही चुप हो गये तो ठीक वरना सर में काले कम्बल ओढ़ा कर मुंगर से दनोर जाते हैं और यह भास भी नहीं होने देते कि कौन नेता हमें दनोर गया। वही बाद में फिर आपके घर आकर शान्त्वना भी देकर जाएँगे यह कहकर कि तुम लड़ो हम तुम्हारे साथ हैं । वैसे बाक़ी सब ठीक है।

पै पोथा सब ठीक हेजाल। आपण ध्यान धरिया त नेतानू मुख झन लगिया। अच्छा पै एल हिटनू फिर मुलाक़ात हेल।

बुबु पोथा संवाद जारी है बने रहिए
भास्कर जोशी
9013843459

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