Saturday, April 23, 2016

घन्तर-9

घन्तर-9
प्रेस वार्ता छलिया नेता विथ सैलफ़ी-8

बल भीकू दा बहुत दोनों से आप दिखाई नहीं दे रहे हैं क्या कारण है ?

क्या बताऊँ भुला कारण वारण कुछ नहीं है लेकिन हाँ कुछ लोगों को पढ़ने की कोशिश ज़रूर कर रहा हूँ विशेषकर उन नेताओं को, जो न जाने क्या क्या खेल खेलते हैं और लोगों को बेवक़ूफ़ बना लेते हैं। यही कारण है कि थोड़ा व्यस्त चल रहा हूँ कोशिश कर रहा हूँ कि नेताओं के झूठ व छलावे को पकड़ सकूँ।

बल भीकू दा लोग वोट पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते। एसे में आप चुप हो। कुछ बोलते क्यों नहीं। आप बोलते हैं तो लोगों तक आपकी बात पहुँचती हैं

क्या  कहूँ भुला। लोग वोट के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं वे सिर्फ़ सुर्ख़ियाँ में रहकर लोगों को झूठी दिलाषाएँ देते है। और हमारी भोली भाली बेवक़ूफ़ जनता उनकी चुपड़ी मलाई दार बातों से पिघल जाती है। लेकिन कहें किस से? उस जनता से, जो सौ रुपये के नोट और एक पऊवा कच्ची शराब के चक्कर में अपने पाँच साल को पीछे धकेल देते हैं।

तो भीकू दा आप सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को समझाते क्यूँ नहीं? यहाँ अपनी बात कहने व रखने का अच्छा माध्यम है

मैं आया था सोशल मीडिया पर। लेकिन देखा कि लोगों को सचाई से परिचित कराने वाले व्यक्ति को पागल समझा जाता है और जुमले बाज़ी करने वाले को महान समझा जाता है वैसे भी सोशल मीडिया पर अब सिर्फ़ नेताओं का आधिपत्य होने लगा है कई नेता लोग तो एसे भी हैं जो कि किसी और की मलाई चट कर जाते हैं। मेहनत कोई और करे  सारा क्रडेट ले जाए ये नेता। झूठी फ़ोटो डालकर लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं और कुछ नहीं।

भिकूदा बात कुछ समझ में नहीं आइ । आप स्पष्ट समझाए ताकि लोग आपकी बातों को समझ सकें?

भुला कल की ही बात है अपने एक नेता जी ने मलाई खाने पहुँच हुए। काम किया सार्थक प्रयास संस्था ने और मलाई उड़ाने नेता जी । जबकि सार्थक प्रयास संस्था ने उस क्षेत्र में तक़रीबन 60 बच्चों  को शिक्षा के लिए गोद लिया है जो कि निर्धन परिवारों से हैं कई बचों के माता पिता नहीं हैं।उन बच्चों के पठन पाठन का ख़र्चा यह सार्थक प्रयास संस्था उठाती है। लेकिन नेता जी ने मलाई की सैंध लगाते हुए उन बच्चों को बुलाया फ़ोटो खिचवाई और तो और उसे सोशल साइड पर मदद के नाम पर अपनी प्रशंसा करते हुए पोस्ट कर डाल दी।

बल भीकू दा एसा क्यों और किसलिए किया होगा?

सब वोट पाने के लिए भुला । सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये हुई कि जिस बच्ची की फ़ोटो सोशल साइड पर लगाई गई उसकी निजी जानकारी के बिना डाली गई और यह भी लिखा गया कि मैं अपने ख़र्चे से इन असहायबच्चों को काँपियाँ बाट रहा हूँ इनकी मदद कर रहा हूँ। जबकि उस फ़ोटो फ़ाइल वाली बच्ची ने यह जानकारी नेता जी को दे दी थी कि मेरी शिक्षा का ख़र्च सार्थक प्रयास संस्था उठा रही है। और मैं आपसे कॉपी नहीं ले सकती। उस खुद्दार बच्ची ने ईमानदारी दिखाते हुए कोपियाँ नहीं ली। लेकिन नेता साहब तो नेता ठहरे। सिम्पैथि जो बटोरनी थी। उन्होंने उस बच्ची के साथ सैलफ़ी खिचवाई और दे धड़ाम सोशल साइड पर अपनी झूठी तारीफ़ लिख डाली। कि हम असहाय बच्चों की मदद कर रहे हैं।साहब मदद करना अच्छी बात है पर उस मदद को आगे बढ़ाना और अच्छी बात है। पर जिसने मदद न ली हो आपसे उसका दुष्प्रचार करना क्या ठीक है ? और तो और हमारी जनता उन्हें वाह वाहि से नवाज़ रही है। बिना जाँचे परखे ? क्या यह सिर्फ़ और सिर्फ़ वोट का खेल नहीं।

क्या भीकू दा एसे झूठे नेताओं के छलावे से लोग कैसे अपने आप को बचा सकेंगे?

भुला किसी को बचाना हमारे बस की तो नहीं विशेषकर इस राजनीति से। यह तो आम आदमी को सोचना चाहिए। कि जो हमें दिखाया जा रहा है क्या वह सच है या झूठ? इसकी जाँच हमें अपने लेवल की करनी ही चाहिए। उसी के बाद इन नेताओं से सवाल दागने चाहिए। कि आप झूठ और छलावे के दम पर कब तक हम आम जनता को छलोगे ? जिस दिन आम जनता में सवाल पूछने की हिम्मत जाग उठेगी उस दिन झूठे वादे व छलावा करने वाले नेताओं की अकल और अकड़ सीधे लाइन पर आ जाएगी। एसा मेरा मानना है।

जारी है भीकू दा के साथ प्रेस वार्ता अगले सवाल जवाब के साथ ।
भास्कर जोशी "पागल"
9013843459

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