Thursday, April 20, 2017

व्यंग : पत्थर मार प्रोडेक्ट



टीवी के विज्ञपनों में आपने कुछ इस तरह के विज्ञपन भी देखे हौंगे- आज ही घर ले आएं। अपने किस्मत को आजमाएं, यह आपके भाग्य  को चमका देगी, यह प्रोडेक्ट घर लाने के बाद आप कुछ ही दिनों में मालामाल हो जायेंगे। आज ही खरीदें यह प्रोडेक्ट अभी कॉल करे फ़लाणे नम्बर पर। इसी तर्ज पर काश्मीर घाटी में पत्थर प्रोडेक्ट चल रहा है। और वह कुछ इस तरह चल रहा है -

आज ही मारें पत्थर,  नौकरी सीधे आपके घर पहुंचेगी। सारी जिंदगी घर बैठे बैठे कमाएंगे लाखों-करोड़ों। पहले मैं भारतीय आर्मी के खिलाफ रोड पर उतरता था तब मुझे सिर्फ पांच सौ रूपये मिलते थे। जबसे पाकिस्तान से प्रोडेक्ट पत्थर लिया और भारतीय जवानों पर पत्थर मारने लगा तबसे हर दिन दस हजार तक कमा लेता हूँ। अब मैं खुद कंपनी का मैलिक बन गया हूँ। आप भी इस प्रोडेक्ट का लाभ उठायें। और घर बैठे बैठे कमाएं पैसे। यह सब काश्मीर में एक  विज्ञपन की तरह हो रहा है।

काश्मीर घाटी में पत्थर मार बिजनेश खूब फल फूल रहा है। पत्थर मारने का शौक अब बिजनेश बन चूका है। करोड़ों रूपये निवेश किये जा रहे हैं।  कभी लोग अपनी आत्म रक्षा के लिए प्रकृतिनुमा पत्थर का प्रयोग किया करते होंगे । परन्तु रोजगार और जल्द से जल्द मालामाल होने के लिए पत्थर मारना आजकल नया दौर शुरू हुवा है। इस नए दौर में पत्थर बाजों को प्रशिक्षण देने वाला भी महान ही रहा होगा । अब जरा सोचो जब पत्थर मारने वालों को दिन के छः से सात हजार रुपये मिलते हौं। तो प्रशिक्षण देने वाले तो लाखों में खेल रहे हौंगे। जब प्रशिक्षण देने वाले लाखों में खेलते है तो प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थाऐं  कितने में खेला खेल रहे हौंगे।

 कभी रोष प्रकट करने के लिए अहिंसा वादी आंदोलन किया जाता था  या कहीं चौपाल पर एक चटाई बिछा कर धरना दिया जाता। चूँकि वक्त बदला तो परमपरायें भी बदलती गयी। एक दौर चला नेताओं पर स्याही फैकने का। तब किस कंपनी की स्याही फैकने में स्तेमाल किया गया यह देखा जाने लगा। और फिर उस कंपनी का बिजनेश चल पड़ता है वह भी बड़े जोरों से । फिर दौर चला जूते, चप्पल, सैंडलों का। जो जूता फैके उसे पार्टी टिकट देती, और जिस कंपनी का वह जूता चप्पल होता उसे विज्ञापन बनाकर पेस किया जाने लगा। यह सब बिजनेस करने के भी तौर तरीके रहे। जिसने मार खाया, कंपनी  उसे भी पैसा खिला देती और  जिसने मारा उसे भी पैसे वैसे देकर किसी प्रांत का नेता बन दिया जाता। देखते ही देखते सभी मुनाफे में।

बहरहाल अपने मुनाफे के लिए देश के साथ गद्दारी कैसे सहन कर सकते हैं।  देश की रक्षा के लिए तैनात जवानों पर ही पत्थर मारने और आजादी जैसे नारों पर यह देश कैसे इन पत्थरबाजों को माफ़ करेगा। भले ये देश विरोधी पाकिस्तानी एजेंट कितना भी फल फूल लें पर जल्द ही सेना द्वारा ये लोग जहन्नुम की सैर करते नजर आएंगे।
भास्कर जोशी
हरदौल वाणी में पूर्व प्रकाशित 

No comments:

गेवाड़ घाटी