Saturday, April 22, 2017

व्यंग : भिकुदा से चर्चा

भीकुदा से इसबार फ़ोन पर इंटरव्यू

हेलो! भिकुदा कहाँ हो ? बहुत दिनों से आप कहीं दिखाई नहीं दे रहे, आखिर क्या बात है ?

क्या बताऊँ भुला!  रामराज्य जो आ गया है !  जबसे यह रामराज्य आया है तबसे हमारे दिन फिर गये।  कुछ भी बोलने की स्थिति में नही हूँ। ना ही कुछ लिखने की स्थिति में। भला कुछ लिखना भी हो तो किसपर लिखें ? चारों ओर मिठास ही मिठास है । सब खुश हैं सिर्फ मुझे छोड़कर । हमें लिखने और बोलने के लिए भी तो  मशाला चाहिए ना? चारों ओर जिधर भी नज़ारे घुमाओ अच्छे दिन  ही दिखाई पड़ते हैं। अब न कहीं रेप हो रहे हैं, न कहीं अत्याचार हो रहा है, न कहीं भ्रष्टाचार हो रहा है, न कहीं उत्पीड़न का मामला आ रहा है, सभी जगह अच्छा ही अच्छा हो रहा है।

भिकुदा में आपकी बात सही से समझ नही पा रहा हूँ। यह आपका आक्रोश है या आने वाले भविष्य की तरफ इशारा कर रहे हो ?

भुला मैं कोई भुत, भविष्य, वर्तमान का ठेकेदार तो हूँ नहीं। हाँ वर्तमान  में जरूर जीता हूँ और उसी को ध्यान में रखकर यह जरूर कहना चाहता हूँ कि आपके अच्छे दिन आ गए हैं । अब कहीं शोरशराबा नहीं होगा। लाउडस्पीकर भी अब बंद हो गए। अब आप चैन से सो सकते हैं, रात को पूरी नींद ले सकते हैं अब कोई भी आपको जल्दी नहीं उठाएगा। आप चाहें तो जिंदगी भर पूरी नींद ले सकते हैं। राम राज्य में किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी। अब वही रामराज्य आ गया है। सारी बंदर सेना उत्पात मचाते हुए राम राज्य की स्थापित कर रही है।

भिकुदा आज आपके सुर बदले बदले से नजर आ रहे हैं आखिर क्या कारण है ?

कोई कारण वारण नहीं है भुला। दुःख बस सिर्फ इस बात का रहेगा। कि अब हम किस पर तंज नहीं कस पाएंगे।  जब सबकुछ अच्छा हो गया है तब ऐसे में हम जैसे लोग, टुटा फूटा रोष प्रकट करते थे वह अब हम नहीं कर पाएंगे। क्योंकि अब खुशहाली ही खुशहाली है। ऐसे में हम किस पर तंज लिखें और कहाँ रोष प्रकट करें । जब लिखने और बोलने को कुछ रहा ही नहीं तो भला हमारा क्या होगा ?
..टूँ टूँ टूँ ................फोन कट।

पभजो। 

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