Tuesday, July 10, 2012

राह की ओर


तू सोच मत इनता
राह अगर है सची ,
सीढियों की राह बना
चलता जा तू चलता जा।

पैर डग मगा जाये
नियंत्रण रख अपने पर,
पीछे मुड कर न देख कभी
चलता जा तू चलता जा ।

कभी रुकें ना पैर
राह की कठिनाइयों,
एसा दृढ  संकल्प बना
चलता जा तू चलता जा ।

सहारा न ले किसी का
विश्वास रख अपने पर,
छूं ले राह की बुलंदियों को
चलता जा तू चलता जा ।

जीवन के इस अन्धकार को
दीपक का दीप  जलाकर ,
प्रकाश किरणों की राह बना
चलता जा तू चलता जा ।

ठानी है राह बनाने की
खुद को मजबूत बना,
हर राह को आशान बना
चलता जा तू चलता जा ।


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