Saturday, July 7, 2012

म्यर पहाड़ रूप देखि



म्यर पहाड़ रूप देखि,
 मन भरी उं छा।
वार डाना पार डाना,
 के भौलो मान्युछा।।

पार डाना हरिया घासा,
घस्यारों की रन बन ।
पहाड्की हवा-पाणी देखि,
 मन भरी उं छा।।

सौण भादो महेंण आयो
बरखा की रन बन ।
रौल मौल गध्यारा देखि
 मन भरी उं छा।।

खेती-पाति डाई-बोटी
बोट्यों की छ्याणी।
घुघूती की घुर सुणि
 मन भरी उं छा।

पाणी का नौ-धारा,
पन्यारों की रन बन ।
पहाड्की गागर-तौली देखि
 मन भरी उं छा।।

No comments:

गेवाड़ घाटी