Sunday, July 8, 2012

बच्चपन

कतु भल बच्चपन छि।

एक अलग दुनियां बसाई छि।
खूब खेल छि ,
खूब मस्ती करछी ।
न दुःख छि,
न गम छि ।
न खांण होश छि ,
न घर जाणक होश रुंछी।
कतु भल बच्चपन छि।।
कभते लड़ छि ,
थोड़ी देर में फिर ख़ुशी हैं जांछी।
न ककणी ढूंढ़ छि ,
न की लुकी लुकी बे डाड़ मार्छी ।
कभते यो कुड़ी ,
तो कभते पल कुड़ी ।
कतु भल बच्चपन छि।।
कोई न आपण छि,
न तो हम कैके छि।
हंस हंस बे लोगों कें ,
आपण बस में करछी ।
यो मतलबी दुनियां बटी,
बहुत दूर रुछी ।
कतु भल बच्चपन छि।।

No comments:

गेवाड़ घाटी