Sunday, May 3, 2020

कविता : दाज्यू हमर हाई फ़ाई

दाज्यू हाईफाई

दाज्यू हमर हाई फ़ाई, कुर्सी लिजी हाई खाई
उत्तराखंड खोड़ी खशोड़ी, दाज्यू फरफराई

तुम लै कुंछा गैरसैण,
उं लै कुनि गैरसैण
गैर हैगो गैरसैण,
बैर किलै गैरसैण
राजधानी क, स्वेण हराई
दाज्यू पुजा देहरदुन, खाणि मलाई

दाज्यू हमर हाकिई फ़ाई, कुर्सी लिजी हाई खाई
उत्तराखंड खोड़ी खशोड़ी, दाज्यू फरफराई

आम खंछा जेठ में ,
नीमू खंछा पूस में
ककड़ खंछा भदो में
कंफो खंछा चैत में
खाण पिणो क, जोर है रायीं
दाज्यू पुज गईं दिल्ली, खैगयीं भद्याई

दाज्यू हमर हाई फ़ाई, कुर्सी लिजी हाई खाई
उत्तराखंड खोड़ी खशोड़ी, दाज्यू फरफराई

पांच साल भोट में
भोट गयीं नोट में
नोट गयीं बोतल में
बोतल पड़ी रोड में
पांच साल क, शराब बेचि गईं
दाज्यू पुज गयीं पहाड, पहाड़ बेचनाई

दाज्यू हमर हाई फ़ाई, कुर्सी लिजी हाई खाई
उत्तराखंड खोड़ी खशोड़ी, दाज्यू फरफराई
भास्कर जोशी

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