Monday, February 22, 2016

भिकुदा के किस्से

भिकुदा स्पेशल -१

भीकू दा भी रंगील आदिम हुए हो
बेई कह रहे थे। व्या बरियात तो आजकल फुस्स जस हो गए। अब वो रौनक भी नही रही। पैली बटी तो हमारे समय में बड़ी रौनक होती थी घर से ही हम फरांग मंत्री होकर के  निकलते थे बाँकी जहाँ जहाँ बाजार में गाडी रुकती थी वहां से पहले हम ठ्यक देखते थे। अपना कोटा लेकर फिर बस में बैठकर बीच बीच में हड़काते रहते थे । अब जहाँ बरियात पहुँचने वाली होती थी उस से पहले चहा पाणी का इंतजाम होता था। और हम द्वी चार गज्जैक नमकीन जेब में लेकर बूजे या कौखाड़ी का आड़ लेकर पौवा हड़का देते थे। ब्योलि के यहाँ पहुँचते पहुँचते हम आदुक् बाट में ही लम्पसार हो जाते हैं रे। अगर बाट सिद्ध सिद्ध हुवा तो पहुंचे नही तो कहीं बुज या किसी के कौखाड़ी वखाड़ि में थेची थाचि कर घुरि पड़ी रहते थे। खाने की होश किसको होती थी । बाद में गांव के ही छिलुक भड़काकर ढूंढते थे हम लोगों को । मिलने पर गांव के लोग हमारा हाथ खुट पकड़ कर बरेत्ती गोठ के कुण घाल जाते थे। क्या दिन थे रे वो। अब तो ब्या में मजा ही नही आता। जब तक गांव में दूसरी किसी की शादी नही होती थी उसी बात की चर्चा होती थी। अब वो दिन रहे ही नही।  शहर में तो और बुरा हाल है यहाँ तो बारात पहुंची भी नहीं की घरेति खा पीकर घर निकल जाते हैं रे। अब वो इंजॉय भी नही रहा लोगों में जो पहले के लोगों में क्रेज होता था।
नोट- इस पोस्ट से इस पागल का कोई लेना देना नही है यह भीकू दा  की निजिगत प्रतिक्रिया है। :p पभजोपागल


भीकू दा स्पेशल -२

पभजो😃 पौरक बखायिक मदनी आज बाट में लंपसार हैरछी। मैल कौ रे मदनियां य कस योग करण छै तू। तल-मलि हूँ जाणी वाल सब तिगणी चाण् में छिं। कस भोग पूरी त्यर य।
तब मदनी कुणो छ
आई एम् फरांग मंत्री डू नॉट डिस्टरभ मी।
मैल कौ रे साबास भौल करण छ तस।
पै कुणो छी।
आई एम् पार्ट ऑफ़ इंडीयन डेमोक्रेसी. यू गो नाउ।
तालें मलि बटी एक सैणि धात लगुने, गाई ढाई दिने, हाथ में दातुल लिबेर दौड़ने उणेछि। आज य रनकार कें दातुलल हानि द्युल। कपन हैरो लड़बड़ान त शरेबि।
मदनिये कान कान ठाढ़, सैणिक अवाज के गे कान में । मदनी चडम्म हौ छाव, यस दौड़ लगै विल कि पछिना नि चाय्। सिद्ध घर।
😂😂😂😂😂😂😂😂
भास्कर जोशी पागल


भीकू दा स्पेशल-3
आजकल सब अपनी अपनी तैयारियों में व्यस्त हैं और हम अपने गोठ गोठ्यारों मस्त  हैं। उत्तराखंड के दल पार्टी आगामी चुनावों के लिए कमर कसे जा रहा है। और हम उनके घोषणापत्रों की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
हर पांच साल के घोषणा पत्र में गैरसैण मुद्दे को प्रार्थमिक्ता दी जाती रही है और आगे भी ऐसे ही दी जायेगी। वर्तमान में कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड की जनता के साथ जो बेहद मजाक किया है वह सायद ही अभी कोई भूल पायेगा। चाहे वह आपदा घोटाला हो या भूमि अधिग्रहण मामला हो। लेकिन बीजेपी को भी हम साफ सुथरा का सटिफिकेट नहीं दे सकते है। कुर्सी मिल जाने के बाद बीजेपी ने भी कुम्भ घोटाले और विद्युत घोटाले से अपना तिजोरी राजस्व खूब बढ़ाया है। रही निम्न उत्तराखंड की स्थाई छोटी मोटी पार्टियां जो अभी तक कुछ खास नहीं कर पायी है। ऐसे में बड़ी पार्टियों के गोद में बैठने के सिवा दूसरा कोई चारा नही बचता।
राजधानी गैरसैण बनेगी  यह  तो आप भूल ही जाइए इसलिए भी कि हर पांच साल में गैरसैण जैसा बड़ा मुद्दा उनके घोषणा पत्र से गायब हो जायेगा। इसलिए राजनीतिक पार्टियां ये कभी नहीं चाहेंगी कि गैरसैण राजधानी का मुद्दा हल हो।
हमारे प्रतिनिधि भी पांच साल में एक बार ही अपना हुलिया दिखाते हैं वह भी चुनाव प्रचार के समय। बाद में ये अलोप हो जाते हैं जंगल में मंगल मनाते हैं या फिर पार्टी प्रोग्रामों में ठुमके लगाते हुए सुर्ख़ियों में आते हैं। खैर जो भी हो 2017 भी आने वाला है। नेता बिरादरी का बिजनेश सातवे आसमान में होगा। इसलिए आप जो भी कागज पत्तर या पेंशन लगवाना चाहते हैं तो यह सही मौका है। अभी हाथों हाथ आपका काम नेता व उनके चेले चपाटे आपका काम यूँ चुटकी बजाते कर लाएंगे। इसलिए अभी मौका है फिर यह मौका आपको नहीं मिलेगा। गोठ गोठ्यारों में अगर मस्ती कर रहे हों तो कुछ समय के लिए बंद कर दीजिये अपने कागज पत्तर पेंशन तैयार कर लें।  क्योंकि जीतने के बाद नेताजी परलोक में विचरण करने चले जाते हैं। पांच साल में छः महीने ही धरती पर आगमन होता है।  इसलिए आज ही आसपाइस कहकर  आवेदन डाल दें- भास्कर जोशी"पागल"


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