Sunday, February 28, 2016

बस भी करो

अजीब तमासा है
हालात बेकाबू हैं।
सभी को कुछ न कुछ चाहिए।
किसी को भगुवा चाहिए
किसी को आरक्षण चाहिए
किसी को आजादी चाहिए
किसी को पकिस्तान चाहिए
किसी को अफजल चाहिए
तो किसी को कुर्सी चाहिए।
अरे कमबख़्तो
एक बार उस जनता से भी पूछो लो
जो तुम्हारे डर से
घर के बाहर निकलने से डर रही है।
वह माशुम जनता तुम्हारे कृत्यों से सहम गयी है।
उसे डर है
तुम्हारे रैली से
तुम्हारे धरने से
 तुम्हारे आंदोलन से
 तुम्हारे मांगों से
तुम्हारे नारों से
तुम्हारे भाषणों से
कब कौन सी आफत उसके सर पर पड़ जाए।-भास्कर जोशी पागल

No comments:

गेवाड़ घाटी