Thursday, December 24, 2015

बखते की बलें

बेई ब्याव में दगडीए दगै ब्योली देखें जैरछी। दगड में दगडीएक इज लै छी । दगडीए इज ब्योलि परिवार थें सवाल जवाब पूछने कछा-
दगडीए इज -के के कारोबार कर लीं तुमर चेली ।
ब्योली इज- घरपनक कम कर लीं पै।
बरक इज -खां पाकुण आंछो नि आन ।
ब्योली इज- रसोई में तो कम जें पै उसी अटक-बिटक में काम करनें छू
बरक इज- और के के काम शिखी छू तुमर चेलिल ।
ब्योली इज- सिलाई और कंप्यूटर कोर्स करी छू येल।
(मैं बहुत देर बटी उन लोगों बात गौर हैं बे सुनणोयी कछा। मन मन में हैन्सी ले उणेछी। चलो बात-वात सब पक्की है गेई। म्यर दगडी म्यर मुख चाही होय कि पागल ज्यू जी के कौल आपण राय साय द्याल। मी मन मन में हंसण रौछी। दगडी कणी संका है पड़ी की पागल ज्यू हैंसण किले रेई )
दगडी - पागल ज्यू के बात है गे तुम किल हैंसण छा
मैं - कुछ ना यार बस इसके हैन्सी उणे ।
दोस्त - फिर ले के बात हैगे ब्योलि में के खोट तो नहा
मैं - अरे यार तस के बात निछ । बस मी तो जो पूछ ताज चल रछि बस वी सोचण छी कि भविष्य में कुछ अलग माहौल हुणि छ बस वी कल्पना करण छी ।
दगडी - कस माहौल पंडितज्यू ?
मैं - ऐल बर जाणेयी ब्योली देखेहें कुछ सालुं बाद चेली एँल बर देखें हैं तै। तब चेली-बेटी सब नौकरी वाल हैंल और च्याल उभें बेरोजगार। आई तक च्याल करांक ल्यूणेयी बरयात बाद में चेल करांक ल्येन । उ टाइम पर जब चेली करांक बर कें देखेहें जैंल तब चेली तरफ बटी पुछेंल बर वाहुं सवाल जबाब -
चेली तरबे - के के कारोबार कर ल्यूं तुमर च्यल
च्यल करांक- घरपने सब काम कर ल्यूं पे
चेली तरबे - खां बनूण, भाना-कुना, कपड धूंण-धांण कर ली छो तुमर च्यल ।
च्यल करांक- होय सब कर ल्यूं हमर च्यल । सब काम सिखाई छ येल। शिलाई, धुलाई, भाना-कुना, गोर-भैंसुं दूध धुलौंण सब काम जाणु हमर नान। बहुते सिद्ध छ हमर नान के कमी नेह इमी।
च्यल इज -.....तो बात पक्की समझूँ.....
चेली बौज्यु - हो होय यसे बर चैन पड़ रछि हमकेँ ।।
(बर्यातक डिस्कस हूंण भैगो तब बरियात में च्यलॉ कें छेड़ छाड़ दिंल् कबेर कोई नि लिजाल। बरियात में बरेति चेली बेटी हैल्)
च्यले इज- बरियात कदु लाला
चेली बौज्यु - सौ एक हैं जेंल पै।
च्यले इज - शरेबि नानी झन ल्याया । पी खै बेर झकोरा झकोर करनी त।
चेली बौज्यु- नानी ज्वान जबान हाय त उमर में यूँ नि करला तो हम जी के करुल।
च्यलक इज- जे ल कर्ला समाय बे करिया बल । बस हमर यां लौण्ड मौडु कें झन छेड़िया बल।अगर कतिके उंच नीच है गई तो हमर गौं सणि चुप नि बैठो फिर।
चेली बौज्यु - चिंता न करो तस के निहौल हमर तरफ बटी बे फिकर रओ। अछ्या पै हिटणु अब ब्यक दिन मुलाक़ात हेली अब
च्यलक् इज -अछ्या उने रया।
यह पागल भास्कर जोशी द्वारा काल्पनिक सोच है इसे वास्तविक न समझें। और इसे अपने वास्तविक जीवन में दोहराने की कोशिश तो कतई न करें। वरना इसके जिमेदार आप खुद हौंगे।- प.भ.जो.पागल

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